ज्योतिष के जिग्याशु को शास्त्रीय ज्योतिष के विभिन्न विभागों में पारंगत करना संस्था का उददेस्य है| सस्थान दवरा निर्मित पाठयक्रम वैदिक-शास्त्रीय ज्योतिष सिधान्तो पर आधारित एक प्रमारिक पाठयक्रम है| संस्थान ने कुछ प्राचीन भारतीय विधा के मूल तत्वों को संस्कृत की आधार ग्रंथो से हिंदी भाषा में अनुदित करके ज्योतिष के सभी विभागों सिधांत, सिधान्तो, संहिता और होरा के प्रतिनिधि पाठयक्रमो का संवधर्न करते हुए उसे प्रस्तुत किया है |

जिसके अध्यन के पश्चात जन्म कुंडली के द्वारा भूत- भविष्य-वर्तमान का फलादेश सफलतापुर्वक किया जा सकता है| दैनिक जीवन में मुहूर्त के महत्त्व एव उसका निर्धारण, प्रश्न ज्योतिष, गणित ज्योतिष और वर्ष फलादि ज्योतिष के पाठ्यक्रम वर्तमान समय में भौतीकवादी एव अर्थ आधारित समाज के लिए व्यावसायिक रूप से लाभकारी सिद्ध हुआ है|

संस्थान ने विगत वर्षो में सम्पूर्ण भारत के अधिकतर प्रान्तों में ज्योतिष शिक्षा के क्षेत्र में एक मजबूत नेटवर्क बनाने में सफलता प्राप्त किया है | संस्थान उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, जम्मू एव कश्मीर, हिमांचल, चंडीगढ़, पंजाब, मध्य प्रदेश, गुरजरात, महारास्ट्र, एव कर्नाटक आदि प्रान्तों में अपना उपकेन्द्र स्थापित कर पत्राचार से अधिक विधार्थी लाभान्वित हो चुके है और बहुत से विद्यर्थी ज्योतिष को अपना सफल करियर भी बना चूकी है |

संस्थान द्वारा ज्योतिष की नियमित कक्षाओं द्वारा शिक्षा देने की योजना भी संचालित है| जिसके अंर्तगत प्रारम्भ में ज्योतिष रत्न श्री, प्रश्न ज्योतिष शिरोमणि, मुहूर्त ज्योतिष प्रभाकर एव ज्योतिष मर्मज्ञ के द्वरा ज्योतिष की शिक्षा दिया जाता है|

 

संस्था के उद्देश्य-
संस्था का मुख्य उद्देश्य निम्नलिखित है –

1. ज्योतिष एव पराविद्या में पाठ्यक्रम चलाना एव शिक्षा प्रदान करना |
2. ज्योतिष विद्या, तंत्र शास्त्र, सामुद्रिक शास्त्र, अंकशास्त्र, वास्तुशास्त्र एव अन्य प्राच्य परा विद्या के विशेषज्ञो को खोजना और उनको एक मंच पर स्थापित करना |
3. प्राच्य विद्या की अप्रकाशित पंदुलियो की खोज और प्राप्त होने पर उन्हें प्रकाशित करने की व्यवस्था करना |
4. ज्योतिष सम्बन्धित विषयों पर शिक्षा का विस्तार करना उसमे समन्वय स्थापित करना|
5. ज्योतिश विद्या, सामुद्रिक शास्त्र, अंकशास्त्र, वास्तुशास्त्र, एव तंत्र-मंत्र आदि विध्याओ को विद्वानो के बीच विमर्श कराना और उनके निर्णय का प्रचार-प्रसार करना|
6. वैदिक ज्ञान पर गोष्ठी, सम्मलेन, प्रदर्शिनी एव जन सभा आदि कराना |
7. ज्योतिष एव पराविद्या के क्षेत्र में ज्ञानी पंडितो को सम्मानित करना |
8. ज्योतिष एव पराविद्या का परामर्ष देना |
9. यज्ञं अनुष्ठान एव धार्मिक सम्मलेन कराना | जिससे भारत के वैदिक ज्ञान का उत्थान एव विश्व में शांति एकता स्थापित हो |
10. आध्यात्मिक विकास हेतु सुव्यवस्थित पुस्तकालय, वाचनालय एव खेल के स्थल की व्यवस्था कराना |
11. विश्व शांति के लिए समय-समय पर रुद्रपाठ, सतचंडी पाठ आदि अनुष्ठान कराना |
12. ज्योतिष एव आध्यात्मिक शिक्षा दे माध्यम से लोगो में जागरूकता पैदा करना|
13. छुआ-छुत, दहेज़ प्रथा तथा नशाखोरी आदि सामाजिक कुरीतियों के प्रति लोगो को जागृत करना |
14. ग्रामीण क्षेत्रो में शुद्ध पेय जल एव स्वास्थ्य विकास की योजनाओ को चलाना|
15. समाज के निराश्रित शिशुओ, बच्चो, महिलाओ, विधवाओ के उत्थान हेतु सरकार द्वारा उपलब्ध करायी गयी योजनाओ की जानकारी देना |

 

संस्थान की आजीवन मानद सदस्यता –

संस्थान की आजीवन सदस्यता कोई भी ज्योतिष जिज्ञाशु प्राप्त कर सकता है | इच्छुक ज्योतिष जिज्ञासु इसके लिए सस्थान में अपना नाम, पूरा पता प्राप्त उपाधि के साथ आवेदन कर सकते है | जीवन मानद सदस्यता शुल्क ५०००रु है |

प्रत्येक आजीवन सदस्यों को संस्थान निम्नलिखित सुविधाये प्रदान करती है –
प्रत्येक सदस्य को संस्थान के अखिल भारतीय ज्योतिष विद्वत परिषद के मानद सदस्यता का सम्मान पत्र प्रदान किया जाता है |
आजीवन सदस्यों को संस्थान अपने सभी उपक्रमों, समारोह की निःशुल्क सुविधा प्रदान करता है |
संस्थानं द्वारा प्रकाशित होराशास्त्रम पत्रिका की निःशुल्क आजीवन सदस्यता दिया जाता है |
संस्थान के उद्देश्यों को सफल बनाने के लिए समय-समय पर सदस्यों से सुझाव प्राप्त किया जाता है |
कार्यकरणी में प्रस्तावित सुझाव पर उन्हें भी अपना मत प्रदान करने का अधिकार प्राप्त होगा |

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