संवत्सरफल

इस वर्ष के प्रारम्भ में ‘कालयुक्त’नामक संवत्सर रहेगा l वैशाखकृष्ण २ मंगलवार(15 अप्रैल २०२५) को ३१\१८ इष्ट (सा.६/१३) पर ‘सिध्दांत’ नामक संवत्सर का प्रवेश होगा, किन्तु वर्षपर्यंत संकल्पादि में ‘कालयुक्त’ संवत्सर का ही विनियोग करना चाहियेl इस वर्ष राजा ‘सूर्य’ तथा मंत्री भी सूर्य ही हैंl अत: राज सत्ता के पदाधिकारियों में परस्पर संबंध अनुकूल रहेगाl जगल्लग्न के अनुसार लग्न में नीचस्थ बुध के साथ राहु के संयोग से पूर्वोत्तर भागो में प्राकृतिक विपत्तियों पैदा होकर जन समुदाय में  वृद्धि कारक हैl रूस, जापान, चीन,फिलीपीन्स द्वीप, पूर्वीभारत एवं  ऑस्ट्रेलिया आदि राष्ट्रों में तूफान, भूकंप, पर्वत श्रृंखलाओं के विघटन से जनधन की हानि होगीl विश्व व्यापार में परिवर्तन बनकर सुधार होगाl भारत का पश्चिमी देशों से व्यापार बढेगाl आयात-निर्यात का केंद्र बनकर भारत की ख्याति विश्व में बढ़ेगीl महंगाई की समस्यायें उभरी रहेगीl धनेश मंगल नीचे राशि में है तथा इस पर राहु की दृष्टी है अत: कुछ राष्ट्रों की आतंरिक सि्थित ख़राब होगी जिसके फलस्वरूप जनधन की भारी हानि हो सकती हैI तृतीयेश शुक्र व्यय भाव में शनि के साथ हैंI अत: भारत को अपने पड़ोसी देशों से सावधान रहना पड़ेगाI भारतीय सीमाओं पर पड़ोसी देशों के अतिक्रमण की घटनायें घटित हो  सकती हैंI वर्षलग्न के विचार से लग्नेश अष्टमभाव में राहु के साथ है इसलिए विश्व में श्रमिक तथा कृषक वर्ग के आन्दोलन की संभावना रहेगीI विश्व में रक्तचाप जनित नरसंहार का परिणाम बढेगाI नववर्ष प्रवेश सिंह लग्न में हो रहा है अष्टमस्थ सूर्य, चन्द, बुध, राहु एवं सप्तमस्थ शुक्र शनि के  योग से उग्रवाद व आतंकवादी ताकतें विश्व के हर भूभाग पर फैलेंगीI वाहन तथा यान दुर्घटना विश्व में बढ़ेगीI पश्चिमी देशों तथा भारत के पड़ोसी देशों में युद्ध के बादल मडरायेंगेI सप्तमेश सप्तमभाव में है इसके प्रभाव से विश्व में महिलाओं पर अत्याचार की घटनायें बढेंगीI आर्द्रा प्रवेश के अनुसार इसका लग्न तुला है सूर्य के पीछे शुक्र है ग्रह सि्थति के अनुसार भारत के पश्चिम एवं पूर्वी भागों के अधिकांश क्षेत्रों में गर्मी का प्रकोप बढेगाI भीषण गर्मी तथा गर्म हवायें चलेंगीI जलीय ग्रह शुक्र मेषराशि में होने से मानसून प्रभावित रहेगाI वर्षाकाल में दिल्ली सहित उसके पड़ोसी राज्यों में व्यापक वर्षा के संकेत हैंI कहीं बाढ़, भूस्खलन आदि परकोप से कृषि जनधन की हानि होने के योग हैंI शारदीयधान्य के विचार से सूर्य के पीछे बुध शुक्र होने से सूर्य पर शनि की दृष्टी होने से शारदीयसस्य की उत्पत्ति कम होगीI कुछ भागों में प्राकृतिक प्रकोपों तथा रोगों से कृषि की कुछ हानि होगीI किन्तु धान्य की कुल निष्पत्ति पर्याप्त मात्रा में होगीI ग्रैष्मिकधान्य के विचार से इसका लग्न सिंह हैI सूर्य  के साथ मंगल बुध गुरु उच्चराशि में होने से ग्रीष्मकालिक अनाज की उत्पत्ति पर्याप्त होगीI वृश्चिकराशि के सूर्य से दवादश शुक्र एवं सूर्य मंगल केंद्र में होने से अत्यधिक धान्योत्पत्ति होगीI चना, मसूर, गेहूँ की फसल उत्तम होगीI कुछ क्षेत्रों में पाला से नुकसान हो सकता हैI   

 

‘कालयुक्त’ संवत्सर का फल-प्रजानां जायते रोग: कालयुकते विशेषतI राजयुद्धं भवेदघोरं प्रजानाशो वराननेII कालयुक्त संवत्सर मे जनता को रोग राजाओं मे भयंकर युध्द तथा प्रजा का नाश होता हैI इसके बाद ‘सिध्दार्थ’ नामाक संवत्सर का फल-तोयपूर्णो भवेन्मेघो बहुसस्या वसुन्धराI सुखिन: पार्थिवा: सर्वे सिध्दार्थ श्रणु सुंदरी II सिध्दार्थ संवत्सर में मेघ जल से पूर्ण, पृथ्वी सस्ययुक्त होती हैI अन्नं का उत्पादन अधिक तथा राजा लोग सुखी रहते हैंI राजासूर्यफल- सूर्ये निपे स्वल्पजलाश्चय मेघा: स्वल्पं धान्यमल्पफलाश्चयवृक्षा:I स्वल्पं पयो गोषु जनेषु पीड़ा चौरागि्नबाधा निधनं निपाणम्II यदि राजा सूर्य हों तो अल्पवर्षा, अन्न तथा फल का उत्पादन कम,गायें अल्प दूध देने वाली,जनता को पीड़ा,चोर तथा अग्नि से भय तथा राजाओं का मरण होता हैI मंत्रीसूर्यफल-निपभयं गदतोऽपि हि तस्करात्प्रचुरधान्यधनानिमाहीतलेI रसचयं हि समर्घतमं तदा रविरमात्यपदं हि समागत:I यदि मंत्री  सूर्य हों तो जनता को राजा,रोग तथा चोरों से भय,पृथ्वी पर प्रचुर अन्न का उत्पादन रसपदार्थ सस्ते होते हैंI सस्येशबुधफल-जलधरा जलराशिमुचो भिशं सुखसमृधिद्युक्तं निरुपद्रवम्I दिव्जगण: स्तुतिपाठकर: सदा प्रथमसस्यपतौ सति बोधनेII यदि सस्येश बुध हों तो मेघ अधिक वर्षा करने वाला, जनता सुख-समृध्दी से युक्त,उपद्रव रहित, द्विजलोग शांतिपूर्वक पूजा पाठ करने में तत्पर रहते हैंI दुर्गेशसूर्यफल-नयविशेषकरस्तरणीस्तदा गतभया नरराजपुरोगमा:I समधिकेन तदा निपतोंयत: पथिषु संव्रजता न भयं क्वचित्I यदि सूर्य दुर्गेश हों तो शासन लोग अधिक नीति संपन्न व्यवहार करने वाले,राजा-प्रजा निर्भय,शासन की सुव्यवस्था से पथिकों को कोई भय उत्पन्न नहीं होता  हैI धनेशबुधफल-द्रविणपो हिमरश्मिसुतो यंदा विविधसंग्रहवस्तुफला तदाI द्रिव्जवरा जपयज्ञसुसंयुता: कृषिविशेष विशेषतमानसा:II               

यदि धनेश बुध हों तो लोग विविध वस्तु संग्रह करे विप्रवर्ग जप-यज्ञ में तल्लीन हों लोग कृषि पर विशेष ध्यान देते हैंI रसेशशुक्रफल-भ्रिगुसुतेरसनायकतां गते जनपदा जलतोषितमानसा:I सुखसुभिक्षप्रमोदवती धरा धरणिपा नरपालनतत्परा:II

यदि रसेश शुक्र हों तो अच्छी वर्षा से जनता प्रसन्न, सुख-समृध्दी सम्पन्न तथा शासन लोग जनता के पालन मे तत्पर रहते हैंI यदि मंगल धान्येश हों तों गेहूं,सरसों, मुंग,तिल,उड़द तथा मूंग के भाव में मंहगी होती हैI यदि नीरसेश बुध हों तो चित्रवस्त्र,शंख तथा चन्दन का मूल्य मंहगा होता है I यदि शनि फलेष हों तो फल-पुष्प तथा वृक्षों के लिए आपसी विवाद, मनुष्यों तथा चोंरों से द्विजाति को कष्ट,जनपदों में जनसमूह व्याकुल रहेगाI यदि सूर्य मेघेश हों तो मेघ द्वारा अल्प वर्षा, स्वल्प अन्न का उत्पादन तथा संसार में भय व्याप्त रहता हैI नील नामक मेघ में शीघ्र वर्षा होती हैI वासुकी मेघ कृषि को देने वाला तथा अधिक वृष्टि कारक होता हैI रोहणी निवास समुद्र में का फल-समुद्रे तु महावृष्टि:II यदि रोहणी निवास समुद्र में हो तो अधिक वर्षा होती हैI संवत्सरनिवास मालाकार के घर का फल-सर्वेवस्तुसमरघ स्यान्मालाकारगृहेऽब्दपेII संवत्सर का निवास यदि मालाकार के  घर हो तो सभी वस्तुऐं सस्ती होती हैंI यदि समय कस वाहन हाथी हो तो सुभिक्ष तथा जनता को सुख वर्षा ऋतु में अच्छी वर्षा तथा सभी जीव सुखी रहते हैंI वर्षा का आढ़क प्रमाण-१०० II जिसमें पर्वत पर ५० समुद्र में २५ भूमि पर २५ I आर्द्रा में सूर्य का प्रवेश आशाढ़कृष्ण १२ रविवार(२२.६.२०२५) २२|२८ ईस्ट (दि.२|१२) पर भरणीनक्षत्र, सुकर्मायोग, तौतिलकरण में हो रहा हैI द्वादशी में आर्द्रा का प्रवेश हो तो शुभदायक होता हैI रविवारफल- रौद्रेऽर्के भनुवारे स्यात्प्रवेशे पशुनाशनम्II यदि रविवार को सूर्य का आर्द्रा  में प्रवेश हो तो पशुओं का नाश होता हैI भरणीनक्षत्रफल-भरण्यां शुभ प्रोत्तम्I भरणी में आर्द्रा में प्रवेश हो तो अशुभ होता हैi सुकर्मायोगफल- सुकर्मनामयोगके यदीशर्भ रविर्व्रजेत्I तदा समस्त भूसुर: सुकर्मकर्तुमुघता: II सुकंर्मा में आर्द्रा का प्रवेश हो तो  सम्पूर्ण  ब्राहाण लोग अच्छे कामों के करने में उघत होते हैंI वेलाफल- मध्याहकाले कृषिनाशनाय धान्यं मह्र्घ च तृणस्य नाश:II दुपहरी में आर्द्रा का प्रवेश होने से खेती का नाश, धान्य महंगा तथा घास का नाश होता हैI 

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