mahkumbh ke amrit stotra

महाकुंभ

है अमृत्व का स्त्रोत

 

भारतवर्ष पुण्यभूमि हैl यह ॠषियों की तपस्थली,देवभूमि हैl यह महातीर्थ है l यहां सभी तीर्थस्थान तपस्वियो,महर्षियों,सिद्ध की साधनास्थली रहे हैंl यह पवित्र स्थान आध्यात्मिक ऊर्जा,शांति के अक्षय स्त्रोत हैं l सिध्दपीठों,तीर्थों में विमल-बुध्दि,शुध्द अंत: करण से युक्त भक्त असीम शांति का अनुभव करते हैंl तीर्थस्थानों पर आकर मानव पाप कर्मो से मुक्त हो जाते हैं, ऐसी हमारी अटूट मान्यता है l श्रीमदभागवत में उल्लेख है- “तीर्थि कुर्वन्ति तीर्थानि “अर्थात भगवान के अनन्य शुध्दचित भात अपनी उपस्थिति मात्र से किसी भी स्थान को तीर्थस्थान बना सकते हैं l  भारतूमि में,ऐसे ही महान साधकों,भक्तों,संतो,साधुओं के साथ, जनसामान्य का मिलन स्थल महाकुंभ का पवित्र आयोजन क्षेत्र होता है l मुख्य रूप से इसका आयोजन प्रयागराज में गंगा,यमुना,सरस्वती के पवित्र संगम,उज्जैन में शिप्रा नदी,हरिद्वार में गंगा, नासिक में गोदावरी के तट पर होता है l विश्व भरसे श्रध्दालु इस महापर्व क्व साक्षी बनने तथा अमृत्व व मोक्ष प्राप्ति की कामना से यहां आते हैं l ज्योतिषीय दृष्टी से देवों के गुरु “बृहस्पति” जब गोचर रूप में बारह राशियों का भ्रमण पूर्ण करते है तो महाकुंभ का पर्व मनाया जाता है l इसी प्रकार जब “गुरु बृहस्पति” के परिभ्रमण की यह प्रक्रिया लगभग 12 बार, 144 वर्ष में पूर्ण होती है l तो महाकुंभ का पर्व मनाया जाता हैl प्रयागराज में इस वर्ष इसका पुण्य आयोजन है l महाकुंभमें स्नान,ध्यान का विशेष महत्व है l आध्यात्मिक ज्ञान के साथ ही महाकुंभ सामाजिक समरसता एवं सांस्कृतिआदान-प्रदान का प्रतीक है l 

अश्वमेध सहस्त्राणि वाजपेय शतानि च l लक्ष्मण प्रदक्षिणा भूमेः कुम्भसनानेंन तत फलम् 

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