मौनी अमावस्या पर मौन स्नान,अमृत कुंभ से छलकने
महाकुंभ पर्व का द्रितीय अमृत स्नान माघी अमावस्या या मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखकर स्नान करना चाहिए l इस बार मौनी अमावस्या पर महोघ योग बनेगा जो 29 जनवरी को प्रातः 8:40 से होगा जो स्वयं में महाकुंभ पर्व पर और भी विशेष होगा l शास्त्रों में कुंभ पर्व के लिये कहा गया है कि ‘वृषराशि गते जीवै मकरे चंदभास्करौl अमावस्या सदायोग: कुंभाख्य तीर्थ नायकौ l ‘अर्थात वृषभ राशि में बृहस्पति और मकर राशि में सूर्य व चन्द्रमा के आने पर माघ कृष्ण अमावस्या (मौनी) को प्रयाग में कुंभ पर्व होता है l यह भी उल्लेख है कि बृस्पति मेष या वृष राशि पर तथा सूर्य चन्द्र मकर राशि में स्थिर हों तो प्रत्येक 12 वर्ष पर प्रयाग में महाकुंभ मनाया जाता है l मौनी अमावस्या पर काशी में दशाश्वमेध तथा प्रयाग में त्रिवेणी संगम व गंगा सागर या समुद्र में मौन व्रत रखकर स्नान करना चाहिए l इस बार मौनी अमावस्या 29 जनवरी को पड़ रही है l मौनी अमावस्या तिथि 28
जनवरी को रात्रि 7:10 से लग रही है जो 29 जनवरी को सांय 6:27 बजे तक रहेगी l
कुंभ महापर्व का दूसरा प्रमुख अमृत स्नान मौनी अमावस्या को शास्त्राज्ञानुसार ब्रहाचारी,गृहस्थ,संन्यासी,बाल,युवा,वृद्ध तीनो अवस्था के स्त्री-पुरुष सभी को आज्ञा है l महाकुंभ स्नान की महत्ता के बारे में शास्त्रों में कहा गया है ‘अश्वमेधसहस्त्राणि वाज्पेयाशतानि च l लक्षं प्रदक्षिणा भूमेः कुंभस्नाने हि सत्फलम ll ‘ अर्थात धर्मपरायणी आम लोगो के त्रिवेणी संगम पर महाकुंभ पर स्नान करने से एक हजार अश्वमेध यज्ञ, 100 वाजपेय यज्ञ तथा एक लाख पृथ्वी प्रदक्षिणाकरनेवाले व्यक्ति को पुण्य की प्राप्ति होती है lग्रहों से महाकुंभ का संबंध: महाकुंभपर्व सूर्य,चन्द्र,बृहस्पति और शनि के नाम भी जुड़ा है l पौराणिक कथा के अनुसार, इंद्र पुत्र जयंत जब अमृत कुंभ की रक्षा हेतु उसे लेकर चले तब इनकी एवं अमृत कलश की रक्षा में इन ग्रहों ने भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी l भगवान सूर्य ने कुंभ को फुटने से बचाया,चंद्रदेव ने अमृत को कुंभ से नीचे गिरने से रोका,बृहस्पति ने असुरों से अमृत कुंभ की रक्षा की तथा शनिदेव ने जयंत पर दृष्टि रखी
कि वह स्वयं ही अमृत का पान न कर जाए l
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