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भारतीय ज्योतिष में पंचाग का महत्त्व उसी प्रकार से है जिस प्रकार से बिना अग्नि का भोजन पकाना I जब तक हम पञ्चांग की बारीकियों को नहीं आत्मसात क्र लेते हैं, तब तक ज्योतिष की भाषा का ‘क ’, ‘ख ’, ‘ग ’, हम नहीं समझ सकते हैं I पञ्चांग ज्ञान के लिये अभी तक कोई पुस्तक उपलब्ध नहीं था I ज्योतिष के विद्यार्थी इसकी कमी को गंभीरता से अनुभव कर रहे थे I अत:भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम ने इस कमी को पूरा करते हुये “पञ्चांग देखने की विधि ”नामक पुस्तक का प्रकाशन किया जो अतिलोकप्रिय है I इसमें पञ्चांग के सभी पाँचों अंगों का विस्तृत विवरण तथा आवश्यक सभी सारणी दिया गया हैI जिसमे आधार पर जन्म कुंडली का निर्माण, मुहूर्त विचार, दैनिक तिथि, नक्षत्र निर्णय आदि सभी प्रकार के ज्योतिष संबंधी कार्यो को सफलतापूर्वक किया जा सकता है I आप सभी के हाथों में यह पुस्तक देते हुये आप से निवेदन है कि इस पुस्तक को और अच्छा कैसे बनाया जा सकता है इसमें अपना योगदान देकर हमे अनुग्रहित करने की कृपा करेगें I
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