1 से 14 मुखी रुद्राक्ष का चमत्कारिक प्रयोग और लाभ

1 से 14 मुखी रुद्राक्ष का चमत्कारिक प्रयोग और लाभ

1.मुखी:– एक मुखी रुद्राक्ष तो भगवान शंकर का स्वरूप ही माना जाता हैl यह रुद्राक्ष सूर्य से संबधित है और सूर्य के अशुभ  प्रभाव जैसे- आत्मविश्वास की कमी,निस्तेज चेहरा,दब्बूपना आदि को ठीक करता है और सूर्य द्वारा दिए जाने वाले रागों को ठीक करता हैl जैसे-दायी आख के रोग,सिर दर्द ,कान के रोग,हड्डीयों की कमजोरी आदिl साथ ही समृधि,शक्ति व नेतृत्वक्षमता भी देता हैl यह धारक को उच्च पद,आदर व सम्मान दिलवाता हैl जिस घर में एक मुखी रुद्राक्ष होता हैl उस घर में सदा लक्ष्मी का वास होता हैl शत्रु स्वय ही परास्त हो जाते हैl   

२.मुखी:- तो मुखी रुद्राक्ष शिव-शक्ति का स्वरूप हैl ये चन्द्रमा से सबंधित हैl ये चन्द्रमा के अशुभ प्रभाव को कम करता हैl चन्द्रमा द्वारा दिये जाने वाले रोग जैसे-बायीं आख के रोग,आत के रोग को ठीक करता हैl साथ ही आपसी संबंधो में आयी कड़वाहट को भी दूर करता हैl और मानसिक शक्ति बढ़ाता हैl जो व्यक्ति गौरी शंकर रुद्राक्ष धारण नहीं कर सकते है,उन्हें गौरी व शंकर दोनों को प्रसन्न करने के लिये दो मुखी रुद्राक्ष ही धारण करना चाहिएl वक्ताओं,न्यायधिशो,वकीलों,वैज्ञानिको अनुसंधानकर्ताओ व विधार्थियो के लिये यह उत्तम रुद्राक्ष हैl 

3.मुखी:- तीन मुखी रुद्राक्ष ब्रह्मा,विष्णु और महेश तीनो का स्वरूप हैl अतः इसे पहनने से त्रिदेव की प्रसन्नता मिलती हैl यह मंगल से संबधित हैl मंगल द्वारा दिये जाने वाले अशुभ 

प्रभाव जैसे कि रक्त के रोग,उच्च रक्त ताप,शारीरिक कमजोरी, महावारी के रोग,किडनी के रोग,तनाव,ऋणात्मक सोच,पापबोध आदि को ठीक करता हैl तीन विचार दया,धर्म,परोपकार के विचारो को विचारो को विशेष रूप से बढ़ता हैl वात,पित्त व कफ तीनो का शरी में उचित संतुलन रखता हैl कमजोर विधार्थियो के लिये लाभदायक हैl बार-बार बिमारीयों से परेशान रहने वाले जातको को लाभ देता हैl 

4.मुखी:- ये देवी सरस्वती और का स्वरूप हैl ये बुध से संबधित है और बुध ग्रह द्वारा दिये जाने वाले अशुभ प्रभाव जैसे कि दिमागी कमजोरी,कुछ भी समझने की कमी,बोच चाल की दिक्कत,दिमाग की नसों की कमजोरी आदिl यह मनुष्य को धर्म,अर्थ,कम व मोक्ष देने वाला रुद्राक्ष हैl ब्राह्राण,क्षत्रिय,वैश्य व शूद्र चारो वर्गों से पूजित हैl चारो आश्रम ब्रह्राचारी, गृहस्थ, वानप्रस्थ व सन्यासी सभी धारण कर सकते हैl वेद, पुराण, संस्कृत पढ़ने वालो को तो अवश्य ही धारण करना चाहियेl 

5.मुखी:- पांच मुखी रुद्राक्ष परमेश्वर का स्वरुप हैl ये गुरु से संबंधिति है और ज्ञान,सौन्दर्य मानसिक शांति,धन,संतान आदि देता हैl ये गुरु के अशुभ प्रभाव जैसे कि वैवाहिक जीवन के तनाव,मोटापा,शुगर,जांघ व किडनी के रोग को ठीक करता हैl यह दीर्घ आयु व अपूर्व स्वास्थ्य प्रदान करता हैl टूटे दिलो को जोड़ता हैl 

6.मुखी:- छः मुखी रुद्राक्ष स्वामी कार्तिकय का स्वरूप है,ये शुक्र के अशुभ प्रभाव व रोग जैसे कि प्रजनन अंगो के रोग,उच्च रक्तचाप आदि रोगों को ठीक करता है और प्रेम व संगीत आदि में रूचि जगाता है,विद्या अध्ययन में भी उपयोगी है,धन संपति के कष्टो से मुक्ति मिलती है.काम,मोह,मद,मत्सर नामक छः दुग्रुण को करता हैl 

7.मुखी:- सात मुखी रुद्राक्ष लक्ष्मी का स्वरुप है यह शनि ग्रह से संबधित है और शनि के अशुभ प्रभाव जैसे कि रोग मृत्यु, नपुंसकता, सर्दी निराशा,अन्धकार आदि को दूर करता हैl यह करवाता हैl यह रुद्राक्ष धारण कर सप्त दिप दर्शन इच्छा होने पर यात्रा सुगम होती हैl सात मुखी रुद्राक्ष से व्यापार,नौकरी में उन्नति मिलती हैl धन धान्य की कमी नही रहती हैl  

8.मुखी:- आठ मुखी रुद्राक्ष गणेश जी व रूद्र का स्वरूप हैl ये राहु ग्रह से संबधित है और राहू के अशुभ प्रभावों जैसे कि फेफड़ो के रोग,अकस्मात होने वाली घटनाये,मोतियाबिंद,पैर,त्वचा के रोग को ठीक करता हैl लेखन कला में निपुणता देता हैl व्यक्ति में अंतमुर्खी होने की शक्ति देती हैl 

9.मुखी:- नौ मुखी रुद्राक्ष माँ दुर्गा का स्वरूप हैl अतः नवरात्री व्रतों का फलदाता है,नवग्रहों में से अनिष्टकारक का नाश करता हैl ये केतु ग्रह से संबंधित हैl और केतु के अशुभ प्रभाव जैसे कि फेफड़ों के रोग,ज्वर,आँख का दर्द,त्वचा रोग,शरीर दर्द आदि को करता हैl आत्मबल की वृद्धि करता हैl दिल मे धङकन चलने से लाभकारी होता हैl गृहस्थी के समस्याओं  को  दूर करता हैl 

10.मुखी:- दर मुखी रुद्राक्ष विष्णु का स्वरूप हैl ये सभी ग्रहों को अशुभ प्रभाव को करने में सक्षम है तथा जातक को एक संपूण सुरक्षा का अहसास देता है,इसे प्रमुख दस अवतारों को आशीर्वाद  प्राप्त हैl दस इन्द्रियों द्वारा किये गये पापकर्मों का नाश करता हैl ह्दय व दिमाग को मजबूत करता है,अपरिचित व्यक्ति भी मित्र बनने लगते हैl 

11.मुखी:- ग्यारह मुखी रुद्राक्ष ग्यारहवे रूद्र का स्वरूप हैl ग्यारहवे रूद्र महावीर बजरंगबली हैl यह जातक को साहस व आत्मविश्वास देता हैl और जातक हिम्मत व बहादुरी से जीवन जीता हैl विधावन,गुणी और चतुर भी बनता हैl जातक में दूसरो के मन की बात जान का गुण आने लगता हैl झुंझलाहट व अधीरता से मुक्ति दिलवाती हैl गमगीन स्वभाव को दूर करता हैl यह किसी से पूछे बिना भी धारण जा सकता हैl  

12.मुखी:-बाहर मुखी रुद्राक्ष भास्कर सूर्य देव का स्वरुप हैl यह सूर्य ग्रह से संबंधित हैl बाहर मुखी रुद्राक्ष धारण करने से राजकीय कामो में सफलता मिलता है,महत्वाकांक्षाये ऊची होने लगता है,आपसी कलह भी शांत करता हैl  

13.मुखी:- तेरह मुखी रुद्राक्ष इंद्र का स्वरूप है l यह ६ मुखी रुद्राक्ष की तरह से ही काम करता है और सांसारिक सुखो की पूर्ति भी करता हैl राज्य में पद प्राप्त करवाता हैl उदार व सात्विक भाव उत्पन्न होते हैl नवीन योजनाओ को सफल करने के लिये यह लाभदायक हैl 

14.मुखी:-चौदह मुखी रुद्राक्ष भगवान् शिव त्रिपुरारि का स्वरूप माना जाता हैl यह शनि ग्रह से सबंधित हैl यह सभी अभिलाषाये पूर्ण करता हैl और मन ईश्वर में लगाता हैl मस्तिष्क को शांति देने वाला हैl हदय को मजबूत करता हैl उच्च रक्तचाप को ठीक करता हैl तपेदिक दमा कैसर के रोगों में लाभदायक है, इसे पानी में घिसकर पीने से अनेक रोगों का निवारण होता हैl 

गौरी शंकर रुद्राक्ष

     यह सर्वश्रेष्ठ रुद्राक्ष है,दो रुद्राक्ष आपस में जुड़ कर यह रुद्राक्ष बनाते हैl यह यह शारीरिक व मानसिक शक्ति प्रदान करता हैl यह शारीरिक व मानसिक शक्ति प्रदान करता हैl यह शिव के अर्धनारीश्वर रूप का प्रतीक हैl यह एक मुखी व 14 मुखी रुद्राक्षो दोनों का भी फल देने वाला होता हैl इसे धारण करने से दुख दरिद्रता पास नहीं आती l मान सम्मान में वृद्धि होती है,वातावरण शुद्र व पवित्र बनता हैl 

ग्रंथो में कहा गया है कि रुद्राक्ष की माला को मंत्रो के द्रारा शुद्ध, पवित्र और ऊजर्वान करके ही पहना जा सकता है, तब रुद्राक्ष निश्चय ही काम करता है अगर ये शुद्धता की कसौटी पर भी खरा उतरा हो,यह और भी अधिक शक्तिशाली और प्रभावी हो सकता है अगर निरंतर जप और हवन से इसकी ऊर्जा और शक्ति को बढाया जाये 

रुद्राक्ष के मुखी अनुसार मंत्र

1.मुखी- ऊँ नमः शिवाय ऊः ही नमः  

2.मुखी- श्री गौरी शंकराय नमःॐ नमः

3.मुखी-ॐ क्लीं नमः,ॐ नमः शिवाय 

4.मुखी-ॐ ह्रीं नमः 

5.मुखी- ॐ नमः शिवाय,ॐ ह्री नमः 

6.मुखी- स्वामी कार्तिकय नमःॐ ह्रीं हं नमः 

7.मुखी- ॐ महालक्ष्मी नमः,ॐ हं नमः 

8.मुखी- ॐ हं नमः ॐ गणेशाय नमः  

9.मुखी- नव दुर्गाय नमः,ॐ हीं हं नमः 

10.मुखी- श्री नारायणाम् नमः, श्री वैष्णवाय् नमः,ॐ ह्री नमः 

11.मुखी- ॐ श्री रुद्राय् नमः,ॐ ह्रीं हं नमः 

12.मुखी- श्री सूर्याय नमः 

13.मुखी- ॐ ह्रीं नमः 

14.मुखी- ॐ नमः शिवाय् 

उपरोक्त सभी मंत्रो के बाद महामृत्युंजय मंत्र का 9 बार जाप किया जाता हैं जो इस प्रकार हैं –   

      ॐ त्रयंबकं यजामहे सुगन्धि पुष्टिवर्धमं 

     उर्वारुकमिव बंधनानमृत्योमुक्षीय मार्मतात् 

रुद्राक्ष की उपयोगिता और लाभ

मानसिक तनाव से मुक्ति पाने में रुद्राक्ष रामबाण की तरह से काम करता हैंl

1.एशिया के विभिन्न साधू व सन्यासियों के अनुसार मात्र रुद्राक्ष धारण करने से ही उन्हें तपस्या करने के लिए ध्यान केन्द्रित में व विचारशील मन को काबू करने में अत्यंत मदद मिलती हैंl 

2.रुद्राक्ष शरीर मन और आत्मा के लाभ के लिये अत्यंत उपयोगी सिद्ध होता हैंl यह शरीर को बल प्रदान करता है जो बिमारियों से लड़ने में मदद करता हैंl आयुर्वेदके अनुसार रुद्राक्ष शारीरिक सरंचना में सुधार लाता हैंl यह रक्त की अशुदियो को दूर कर शारीर को निरोगी बनाता हैl  

3.यह मानव शरीर के अन्दर के साथ-साथ शरीर के बाहर की वायु में भी जीवाणुओं का नाश करता हैl 

4.यह तनाव,चिंता,डिप्रेशन का अभाव भी कम करता है,रुद्राक्ष सिरदर्द,खांसी,लकवा,और मार्तत्व की रुकावटों को दूर करने में भी मदद करता हैl 

5.मेडिकल साईस के अनुसार भी यह सिद्ध हो गया हैं कि रुद्राक्ष को धारण करने से ही हृदय गति में सुधार आता है,उच्च, रक्तचाप ठीक होने लगता हैंl 

6.वे जातक जिनकी उच्च रक्त ताप की शिकायत है.उन्हे रुद्राक्ष का लाभ निम्न तरीके से लेना चाहिये l 

पांच मुखी रुद्राक्ष के दो दाने रात को एक गिलास पानी में रख दें वे सुबह खाली पेट इसे पी लें गिलास कापर के अतिरिक्त किसी भी धातु का हो सकता है”40 दिन तक नियमित लेने से फरक महसूस किया जा सकता हैl 

7.वे जातक जो हमेशा चिंता में रहते है,जिनका आत्मविश्वास खो सा गया होता है या जो कांपते ज्यादा हैं- उन्हें रुद्राक्ष का लाभ निम्न तरीके से लेना चाहिये- 

8.रुद्राक्ष को पहनने से चेहरे पर तेज आता है जो व्यक्तित्व को निखारने में काम आता हैंl 

9.यह व्यक्ति के याददाश्त को बढ़ाने में भी उपयोगी हैl 

10.रुद्राक्ष जीवन की समस्त मनोकामनाओ को पूर्ण करता हैl सुख शांति प्रदान कर मान सम्मान में वृद्धि करता हैंl 

11.रुद्राक्ष शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ आत्मा की उन्नति के लिये भी लाभदायक हैl रुद्राक्ष को धारण करने से पूर्वजन्म के उन पापों ये मुक्ति मिलती है जो कि इस जन्म में भी रुकावटें पैदा कर सकते हैl 12.अगर कोई व्यक्ति अपनी बुरी आदतो से छुटकारा पाना चाहते है और शुद्धता का जीवन जीना चाहता हैं तो उसे रुद्राक्ष की माला पहननी चाहिये l निश्चित रूप दे लाभ मिलता हैl 

13.रुद्राक्ष अशुभ ग्रहों के प्रभाव को भी कम करने में उपयोगी होता हैं l ब्रह्रांड में 27 नक्षत्र हैं जो 9 ग्रहों को चलाते हैंl प्रत्येक नक्षत्र ऊर्जा प्राप्त करता हैl यह केवल ऊर्जा प्राप्त ही नहीं 

करता बल्कि इसका वितरण भी करता हैंl 

यह निश्चित है कि रुद्राक्ष ग्रहों के बल से ऊंची और प्रभावशाली वस्तु हैं.तभी तो विभिन्न 

मुखियों के रुद्राक्ष विभिन्न ग्रहों के शांति के लिये जाते हैं जो ग्रह जातक के लिये अशुभ है,उस ग्रह से संबंधित रुद्राक्ष ही धारण कर उस अशुभ ग्रह की शांति की जा सकती हैंl 

14.प्रत्येक रुद्राक्ष किसी न किसी देवता या देवी से संबंधित होता है l यही घनात्मक बल रुद्राक्ष के धारक को ॠणात्मक ऊर्जा और शत्रुओ से बचाता हैंl 

रुद्राक्ष जीवन की अति आवश्यक वस्तु हैं क्योंकि यह भगवान शिव से संबंधित है और शिव देवों के देव महादेव हैं, अतःरुद्राक्ष पहनने वाले को अगर रुद्राक्ष से अधिक लाभ लेना हैं तो उसमें श्रद्धा और विश्वास होना बहुत जरुरी है  

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