होलिका दहन
एक शास्त्रीय विश्लेषण
पूजाविधि- देश काल एवं नाम – गोत्र उच्चारण पूर्वक “मम सकुटुम्बस्य दुण्ढा रक्षासीपीडापरिहारार्थहोलिकापूजनमहं करिष्ये”ll से संकल्प करें l ध्यान- असक्याभयसंत्रस्त्रै: कृत्वा त्वं होलिवालिशै: l तस्त्वां पूजयिष्यामि भूते भूतिप्रदाभाव ll इससे ध्यान कर “होलिकायै नम:” से यशा विधि पूजन करें l दीपमंत्र – दिपयाम्यघतेघोर चिति रक्षासि सप्तमे l हिताय सर्वजगता पीतये पार्वतीपते:ll इत्यादि से पूजन कर “अनेनाचर्नेन होलिकाधिष्ठात्रिदेवता प्रीयतां न मम्” से समर्पित करें l तथा प्रज्वलित होलिका का तीन बार परिक्रमा करें l द्वितीय दिन होलिकाभस्मधारण मंत्र-वान्दितास सुरेन्द्रेण ब्रह्मणा शक्डरेण च l अतस्त्वं पाहि नो देवि विभूतिभूतिदा भव ll होलिका में वायु परिक्षण- होलिका दहन काल में पूर्वादि दिशाओं के वायुचलन से क्रमश: राजा एवं प्रजा को सुख, अग्निभय, दुर्भिक्ष, महावृष्टि,वायुवृद्धि,सुभिक्ष तथा प्रजासुख होता है l
होली- इस वर्ष फाल्गुनशुक्ल 14 गुरुवार (13 मार्च 2025) को चतुर्दशी घट्यादी 9/49 (दि.10/2)पर समाप्त हो जाती है और पूर्णिमा लग जाती है l दूसरे दिन पूर्णिमा घट्यादि 12l46 (दि.11l11)पर समाप्त हो जाता है l अत: होलिकादाह पूर्वदिन (13 मार्च 2025)गुरुवार को भद्रा (रात्रि 10l37) के बाद होगा l दूसरे दिन सायंकाल प्रतिपदा के लाभ से काशी में होली, सायं चतु:षष्टि यात्रा तथा दर्शन शुक्रवार (14 मार्च 2025) को होगा l काशी से अन्यत्र होली वसन्तोत्सव चैत्रकृष्ण प्रतिपदा शनिवार (15 मार्च 2025) को मनाया जायेगा l
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