नाग पंचमी

नाग पंचमी

श्रावण शुक्ल की पंचमी अर्थात् नागपंचमी - श्रावण शुक्ल   पंचमीको नाग पंचमी कहा जाता है l नाग पंचमी पर विध्द ग्राह्य  होती है, अत: नाग पूजा में षष्टि युक्त पंचंमी  का ही ग्रहण करना चाहिए क्योकि उसी में नागगण संतुष्ट होते हैं l चतुर्थी सहित पंचमी में अन्य गण l नाग पंचमी को छोड़कर अन्य प्रयोजनों में चतुर्थी युक्त पंचमी ही लाभप्रद होती है l नागपंचमी विधि - श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि की द्वार के दोनों तरफ गोमय से सर्प की आकृति बनाकर घी, जल , एवं दूध तथा से तर्पण करके दधि, दूर्वाडर, धुप, दीप, फूलमाला आदि से विधि पूर्वक पूजन कर गेहूं , दूध तथा धान के लावा का भोग लगाना चाहिए l इससे  पद्म  , तक्षक आदि नागगण संतुष्ट होते हैं, तथा पूजन कर्ता को सात कुलों तक सर्प भय नहीं होता l निम्लिखित मंत्र सर्प विष का प्रतिरोधक है, है , अत: विधिपूर्वक इसके जप से सर्प विष नहीं लगता l मंत्र ॐ कुं कुलाय हूँ फट् स्वाहा l सर्व प्रथम दरवाजे पर लिखित सर्प आकृति पर सर्वनागेभ्यों नम:सर्वनागानावाहयामि,इससे आवाहन कर ‘नागेभ्यों नम: ’ के द्वारा पूजन कर पुन:प्रार्थना करें l प्रार्थनामंत्र - अनंतन वासुकिं शेष पद्मकम्बमेव  च l तथा कर्कोटकं नांग नागमश्वरं तथा l l धृतराष्टं शख्द्पालं कालाख्यं तक्षकं तथा l पिग्डलच्च महानागं  प्रणमामि महुर्महुरिती l        

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