सामुद्रिक शास्त्र एक ऐसी विधा है जिसके द्वारा हम मनुष्य के अंगों को देखकर उसके स्वाभाव एवं चरित्र का ज्ञान कर सकते है जिस प्रकार हाथ की रेखाओं को देखकर जातक के भुत – भविष्य वर्तमान में घटने वाली घटनाओं को जाना जा सकता है| उसी प्रकार आक्रति विज्ञान द्वारा जातक की मुखाकृति, शारीर की बनावट, हाव, भाव, चाल – ढाल तथा अन्य क्रिया कलापों को देखकर उसके स्वाभाव, चरित्र एवं अतीत तथा भविष्य का ज्ञान किया जा सकता है |
घर बैठे पत्राचार माध्यम से सामुद्रिक शिक्षा की यह नवीनतम प्रस्तुति है| जिसमे चित्रों के माध्यम से मुखाकृति विज्ञान के प्रत्येक सूत्रों को अति सरल रूप से निम्नलिखित चार पाठों को प्रस्तुत किया गया है |
सामुद्रिक शास्त्र एक ऐसी विधा है जिसके द्वारा हम मनुष्य के अंगों को देखकर उसके स्वाभाव एवं चरित्र का ज्ञान कर सकते है जिस प्रकार हाथ की रेखाओं को देखकर जातक के भुत – भविष्य वर्तमान में घटने वाली घटनाओं को जाना जा सकता है| उसी प्रकार आक्रति विज्ञान द्वारा जातक की मुखाकृति, शारीर की बनावट, हाव, भाव, चाल – ढाल तथा अन्य क्रिया कलापों को देखकर उसके स्वाभाव, चरित्र एवं अतीत तथा भविष्य का ज्ञान किया जा सकता है |
घर बैठे पत्राचार माध्यम से सामुद्रिक शिक्षा की यह नवीनतम प्रस्तुति है| जिसमे चित्रों के माध्यम से मुखाकृति विज्ञान के प्रत्येक सूत्रों को अति सरल रूप से निम्नलिखित चार पाठों को प्रस्तुत किया गया है |
प्रथम पाठ - मुखाकृति विज्ञान के इतिहास की भूमिका, मस्तिष्क आकृति विचार, मस्तक के विशाल एवं लघु आकार का प्रभाव, मस्तक का शुभाशुभ माह, कलाकारों के मस्तक का आकार, मस्तक का झुकाव, दबे या उपर उठे होने का फल, मस्तक पर सूर्यादि रेखाओं तथा उनका फल, खोपड़ी के आकर, प्रकार का फल, बालों से भविष्य ज्ञान ज्योतिष द्वारा बालों का फल कथन, त्वचा और उसका फल, तिल, धब्बे आदि शुभाशुभ चिन्हों का फल,मस्तिष्क की क्षमता और आपकी त्वचा |
द्रितीय पाठ – चेहरे की बनावट पर जीवन शैली का प्रभाव, नेत्रों से प्राप्त संकेत, भोहें और व्यक्तित्व, नाक की विभिन्न आकृति और आपका व्यव्हार | बालों की बनावट का प्रभाव, होठों की बनावट उसकी भाषा तथा हँसने की विभिन्न मुद्राओं का वर्णन, दातों के विभिन्न बनावटों का फल, ठुड्डी से चारित्रिक विशेषताओं का ज्ञान, कानों की बनावट और भविष्य कथन तथा आनुवंशिक प्रभाव |
तृतीय पाठ – हाथ की बनावट, कलाई और हथेली का जोड़ मणिबंध आदि से भविष्य कथन, समचौरस हाथ और अँगुलियों का व्यक्तित्व पर प्रभाव, अंगूठे की बनावट, लचीलापन एवं अग्रभाग से व्यक्ति के कार्यों की जानकारी, नाख़ून और व्यक्ति का स्वाभाव, हथेली के उभारों से भविष्य ज्ञान, सुर्यादी ग्रह क्षेत्रों के शुभाशुभ फल, हथेली पर रेखाओं की बनावट और भविष्य के संकेतों का ज्ञान |
चतुर्थ पाठ – पैरों की बनावट, पैरों का अंगूठा, पैरों की तलुओं की बनावट तथा पैर की एडी से मिलने वाले चारित्रिक संकेत, चलने का ढंग से जातक की विशेषताओं का ज्ञान, शारीरिक कद – काठी और आपका व्यव्हार, शारीरिक बनावट और आपका भाग्योदय, फलित ज्योतिष और सामुद्रिक शास्त्र का समन्वय, भाग्योदय काल निर्धारण की विधि, लम्बे और नाटे व्यक्तियों के गुण, आकृति एवं हाथ रखने की शैली के भविष्य कथन, शारीरिक लक्षण के ज्ञान का व्यावहारिक ज्ञान |
प्राप्त उपाधि – आकृति विज्ञान विशारद (फेस रीडर)|
अध्ययन काल – ४ महिना|
शिक्षा शुल्क – 5400रु. मात्र | इसके अतिरिक्त किसी प्रकार का शुल्क देय नहीं है |
शैक्षणिक योग्यता– इंटरमीडिएट स्तर |
१. पाठ्यक्रम के सम्बन्ध में – संस्था द्वारा ज्योतिष के विभिन्न विभागों के शिक्षा का कार्यक्रम संचालित किया जाता है | जो शास्त्रों द्वारा अनुमोदित होते है | इसका अध्ययन पत्राचार माध्यम से छात्रों को इस प्रकार से कराया जाता है कि उन्हें सरलता पूर्वक सम्बंधित विषय का ज्ञान घर बैठे प्राप्त हो सके | पाठ्यक्रम को समझने व अध्ययन में किसी भी आने वाली अडचनों को संस्था में कार्यरत विशेषज्ञ पत्र, फोन अथवा इन्टरनेट द्वारा तुरंत समाधान कर देते है | (यह सेवा निःशुल्क होती है|) संस्था में शास्त्रीय स्तर आचार्य स्तर तथा ज्योतिष में अनुसन्धान की शिक्षा एवं उपाधि की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है |
२. पाठ्य–सामग्री – प्रत्येक विद्यार्थी को सभी आवश्यक पाठ्य सामग्री सीधे संस्था अथवा उसके उपकेन्द्र द्वारा दी जाएगी | इसके साथ आपको ज्योतिष पाठ्यक्रम में पंचांग, वास्तु पाठ्यक्रम में दिशा – सूचक यंत्र, हस्त रेखाशास्त्र पाठ्यक्रम में मैग्नीफाईंग ग्लास, तंत्र पाठ्यक्रम में लाल चन्दन का माला आदि निःशुल्क दिया जायेगा |
३. शुल्क भेजने का नियम – संस्था द्वारा संचालित प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में उसका पूर्ण शुल्क लिख दिया गया है |
जिसे निम्नलिखित साधनों से आप अपनी सुविधा अनुसार संस्थान को भेज सकते है –
१. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम ड्राफ्ट जो वाराणसी में देय हो |
२. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के निम्नलिखित बैंक अकाउंट में शुल्क जमा किया जा सकता है –
अपने नजदीकी भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया शाखा में खाता नं. ३३७९९७९८०४९ (क्लियरिंग चार्ज ५० रु.अलग से) में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
अपने नजदीकी आई. सी. आई. सी. आई. बैंक शाखा में खाता नं. ६२८३०५०१८१३८ में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानं के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
३. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम (Bhartiya Vaidic Jyotish Sansthanam) के नाम चेक जो वाराणसी में देय हो (चेक द्वारा शुल्क भेजने पर ५० रु.क्लियरिंग चार्ज अलग से देना होगा |)
४. मनीआर्डर द्वारा संस्थान के पते पर शुल्क भेज सकते है |
५. वी.पी.पी. माध्यम से भी आप कोर्स मैटेरियल के लिए आवेदन कर सकते है | (इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी फोन द्वारा संस्थान से प्राप्त की जा सकती है |)
६. नकद शुल्क संस्थान में आकर भी जमा किया जा सकता है |
शुल्क तथा आवेदन पत्र प्राप्त होने के बाद संस्था द्वारा सभी पाठ्यक्रम सामग्री छात्रों को रजिस्टर्ड डाक या कुरियर द्वारा भेज दि जाती है | पाठ्यक्रम में वर्णित शुल्क के अतिरिक्त किसी प्रकार का कोई अन्य शुल्क नही लिया जाता है |
विशेष – किसी प्रकार का भी शुल्क भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम वाराणसी के नाम ही स्वीकृत किया जायेगा |
४. भारत से बाहर के छात्रों के लिए – विदेशी छात्रों को डाक खर्च शुल्क अतिरिक्त देना होगा | पाठ्यक्रमों के शुल्क सम्बन्धी विशेष जानकारी संस्था से संपर्क करके प्राप्त किया जा सकता है |
५. प्रवेश सम्बन्धी नियम- संस्था द्वारा संचालित किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त करने के लिए संस्था द्वारा उपलब्ध आवेदन पत्र को भरकर पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क के साथ रजि.डाक, कोरियर द्वारा या व्यक्तिगत रूप से जमा करने पर सम्बंधित पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त हो जाता है |
६. परीक्षा विधि- प्रत्येक पाठ्यक्रम के अध्ययनकाल के समाप्ति के बाद संस्था द्वारा पाठ्यक्रम से सम्बंधित प्रश्न पत्र आपको भेजा जायेगा | जिसका उत्तर घर बैठे आप स्वयं लिखेगें | प्रश्न पत्र प्राप्ति के दिनांक से एक माह के अन्दर संस्था को रजिस्टर्ड द्वारा प्रश्न पत्र का उत्तर भेजना होता है | आपके उत्तर पत्र का मूल्यांकन एवं निरिक्षण करने का आधार आपकी विषयगत मौलिकता एवं विषय को स्पष्ट करने की शैली होती है| उत्तर पत्र प्राप्त होने के एक माह के अन्दर आपको तत सम्बंधित प्रमाण पत्र भेजकर सम्मानित किया जाता है | उच्चतम अंक प्राप्त करने वालों को संस्था द्वारा गोल्ड मैडल से सम्मानित किया जाता है| उत्तर पत्र के प्रत्येक पृष्ठ पर आपका हस्ताक्षर आवश्यक है | यह नियम पत्राचार पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों पर लागू होगा |
प्रथम श्रेणी – प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण छात्र को अंक पत्र में ए श्रेणी प्राप्त होगा |
द्रितीय श्रेणी – द्रितीय श्रेणी में उत्तीर्ण छात्र को बी श्रेणी प्राप्त होगा |
असफल छात्र – असफल छात्र को पुनः परीक्षा देना होगा | जिसके लिए परीक्षा शुल्क संस्थान में जमा करना होगा | विद्यार्थी को उसके विषयगत कमजोरी को दूर करने के लिए संस्थान के शिक्षक निःशुल्क प्रशिक्षण देंगे |
७. पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क – संस्थान के प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में पाठ्यक्रम का शिक्षण शुल्क लिखा हुआ है | जिसमे पंजीकरण शुल्क, प्रवेश शुल्क, वार्षिक पत्रिका शुल्क, परीक्षा शुल्क तथा दीक्षांत समारोह शुल्क आदि अनिवार्य शुल्क जुड़ा हुआ है |
८. आवश्यक वैधानिक नियम – १. किसी भी विवाद का न्यायक्षेत्र वाराणसी (उ०प्र०) होगा |
२. पाठ्यक्रम भेज देने के बाद पाठ्यक्रम का शुल्क वापस नही किया जाता है |
३. संस्थान से कोई भी सूचना प्राप्त करने के लिए डाक टिकट लगा लिफाफा भेजना होगा | व्यक्तिगत अथवा फोन से संपर्क करने का समय सायं ३ से ५ बजे तक है | गुरुवार को अवकाश रहता है \
नोट – संस्था के नाम पर किसी प्रकार का असंवैधानि कार्य दंडनीय अपराध माना जायेगा |
विशेष ध्यातव्य – संस्थान के खाते में जमा धनराशि का ही संस्थान उत्तरदायी होगा |
किसी प्रकार के संवैधानिक विवाद के निर्णय का अधिकार वाराणसी न्यायलय के आधीन होगा |
If you are going to use a passage of embarrassing hidden in the middle of text
Related Courses