Ratn jyotish vishsarad(gemstone astrology)
रत्न ज्योतिष विशारद, रत्न विज्ञान का एक उच्चस्तरीय पाठ्यक्रम है | ज्योतिष तथा तंत्रशास्त्र में रत्नों के सम्बन्ध में विभिन्न मान्यताएं प्राप्त होती है | ग्रह दोष शमन के लिए ज्योतिष शास्त्र में रत्नों का प्रयोग बताया गया है | ज्योतिष के लिए रत्नों के गुणधर्म एवं जन्म कुंडली के आधार पर किसी जातक के लिए उसके जीवन रत्न को बताना एक महत्वपूर्ण कार्य है | इस पाठ्यक्रम के माध्यम से आप रत्न विद्या के कुशल ज्ञाता एवं सफल रत्न ज्योतिषी, चिकित्सक एवं परीक्षक बन सकते है | यह पाठ्यक्रम चार भागों में प्रस्तुत किया गया है |
प्रथम पाठ- रत्नों का सामान्य परिचय, रत्न क्या है, परिभाषा, रत्नों का प्रभाव, रत्नों की उत्पत्ति, रत्न कैसे बनते है, कहाँ पाए जाते है, रत्न की संरचना तथा आकार, रत्नों की भौतिक संरचना तथा उसका वैज्ञानिक विश्लेषण, रत्नों के गुण धर्म और उनकी विशेषताए, आयुर्वेद और रत्न, रत्नों और ग्रह का सम्पूर्ण परिचय, ग्रहों का आनुपातिक प्रतिनिधित्व,रत्न, धातु तथा ग्रहों से सम्बन्ध, ग्रहों रूप तथा उनका प्रभाव, ग्रहों के कारक, रत्नों की संस्कृत, अंग्रेजी तथा फारसी में नाम, चौरासी रत्नों का परिचय, रत्न कम कैसे करते है |
द्रितीय पाठ – रत्न परिज्ञान के सिद्धांत, रत्नों की माप तौल और उनका मूल्य निर्धारण, रत्नों की सही पहचान के सूत्र, अंग्रेजी महीनों पर आधारित रत्न, ग्रहों के मित्र एवं शत्रु, मूलांक द्वारा रत्न निर्धारण, भाग्य में ग्रहों की स्थिति,रत्न धारण के आवश्यक नियम, रत्नों के चयन का विषय, लग्न के अनुसार रत्न चुनाव के नियम, स्त्रियों के लिए विशेष नियम, जन्म कुंडली के अनुसार रत्न निर्धारण नियम तथा उदहारण सहित व्याख्या, रत्न प्रयोग के ज्योतिषीय सिद्धांत और यंत्र प्रयोग, कौन सा रत्न धारण करना चाहिए, नवरत्न अंगूठी के प्रयोग का विधान |
तृतीय पाठ – रत्न और चिकित्सा, विभिन्न रोगों में उपयोगी रत्नों का वर्गीकरण, रत्नों के रंग का चिकित्सा में प्रयोग का सिद्धांत, रंग चिकित्सा तथा आधुनिक विज्ञान, उपरत्नो द्वारा रोगोपचार, मुख्य नौ रत्न माणिक्य, मोती, मूंगा, पन्ना, पुखराज, हीरा, नीलम, गोमेद, लहसुनिया, का अलग –अलग वैदिक तथा वैज्ञानिक विश्लेषण, उनका प्राचीन इतिहास, शुद्धता की जाँच, अशुद्ध रत्नों की पहचान, उनके उपरत्नो का गुणधर्म , दुष्प्रभाव, उपर्युक्त नौरत्न किसे धारण करना चाहिए, राशि के अनुसार इन रत्नों का गुण धर्म, इनके द्वारा किन रोगों का उपचार होता है, उन रत्नों के विभिन्न रूप तथा उनकी पहचान |
चतुर्थ पाठ – जन्म कुंडली के अनुरूप विभिन्न रोग निर्धारण तथा उनकी चिकित्सा का विस्तृत अध्ययन कुंडली के उदहारण द्वारा – गठिया, नपुंसकता, एड्स, अल्सर, दांतों का रोग, ह्रदय, दमा, रक्ताल्पता, रक्त कैंसर, गंजापन, मस्तिष्क विकार, आकस्मिक दुर्घटना, सफेद दाग, ब्रेन ट्यूमर, पीलिया,कैंसर, मिर्गी, पथरी, डायबिटीज आदि रोगों पर रत्नों का प्रभाव, कुंडली द्वारा सत्यापन बारहों लग्न के लिए नौरत्नो के प्रभाव का विश्लेषण, रत्न्धारण से जुडी निषेधात्मक बातें, विभिन्न रत्नों के मन्त्र और उनके धारण का विधान, रत्नों की प्राण प्रतिष्ठा विधान |
प्राप्त उपाधि – रत्न ज्योतिष विशारद | अध्ययन काल – ४ महिना|
शिक्षा शुल्क – 5400रु. मात्र | इसके अतिरिक्त किसी प्रकार का शुल्क देय नहीं है |
शैक्षणिक योग्यता – ज्योतिष विद्या विशारद स्तर या समतुल्य ज्ञान आवश्यक है |
१. पाठ्यक्रम के सम्बन्ध में – संस्था द्वारा ज्योतिष के विभिन्न विभागों के शिक्षा का कार्यक्रम संचालित किया जाता है | जो शास्त्रों द्वारा अनुमोदित होते है | इसका अध्ययन पत्राचार माध्यम से छात्रों को इस प्रकार से कराया जाता है कि उन्हें सरलता पूर्वक सम्बंधित विषय का ज्ञान घर बैठे प्राप्त हो सके | पाठ्यक्रम को समझने व अध्ययन में किसी भी आने वाली अडचनों को संस्था में कार्यरत विशेषज्ञ पत्र, फोन अथवा इन्टरनेट द्वारा तुरंत समाधान कर देते है | (यह सेवा निःशुल्क होती है|) संस्था में शास्त्रीय स्तर आचार्य स्तर तथा ज्योतिष में अनुसन्धान की शिक्षा एवं उपाधि की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है |
२. पाठ्य–सामग्री – प्रत्येक विद्यार्थी को सभी आवश्यक पाठ्य सामग्री सीधे संस्था अथवा उसके उपकेन्द्र द्वारा दी जाएगी | इसके साथ आपको ज्योतिष पाठ्यक्रम में पंचांग, वास्तु पाठ्यक्रम में दिशा – सूचक यंत्र, हस्त रेखाशास्त्र पाठ्यक्रम में मैग्नीफाईंग ग्लास, तंत्र पाठ्यक्रम में लाल चन्दन का माला आदि निःशुल्क दिया जायेगा |
३. शुल्क भेजने का नियम – संस्था द्वारा संचालित प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में उसका पूर्ण शुल्क लिख दिया गया है |
जिसे निम्नलिखित साधनों से आप अपनी सुविधा अनुसार संस्थान को भेज सकते है –
१. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम ड्राफ्ट जो वाराणसी में देय हो |
२. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के निम्नलिखित बैंक अकाउंट में शुल्क जमा किया जा सकता है –
अपने नजदीकी भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया शाखा में खाता नं. ३३७९९७९८०४९ (क्लियरिंग चार्ज ५० रु.अलग से) में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
अपने नजदीकी आई. सी. आई. सी. आई. बैंक शाखा में खाता नं. ६२८३०५०१८१३८ में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानं के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
३. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम (Bhartiya Vaidic Jyotish Sansthanam) के नाम चेक जो वाराणसी में देय हो (चेक द्वारा शुल्क भेजने पर ५० रु.क्लियरिंग चार्ज अलग से देना होगा |)
४. मनीआर्डर द्वारा संस्थान के पते पर शुल्क भेज सकते है |
५. वी.पी.पी. माध्यम से भी आप कोर्स मैटेरियल के लिए आवेदन कर सकते है | (इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी फोन द्वारा संस्थान से प्राप्त की जा सकती है |)
६. नकद शुल्क संस्थान में आकर भी जमा किया जा सकता है |
शुल्क तथा आवेदन पत्र प्राप्त होने के बाद संस्था द्वारा सभी पाठ्यक्रम सामग्री छात्रों को रजिस्टर्ड डाक या कुरियर द्वारा भेज दि जाती है | पाठ्यक्रम में वर्णित शुल्क के अतिरिक्त किसी प्रकार का कोई अन्य शुल्क नही लिया जाता है |
विशेष – किसी प्रकार का भी शुल्क भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम वाराणसी के नाम ही स्वीकृत किया जायेगा |
४. भारत से बाहर के छात्रों के लिए – विदेशी छात्रों को डाक खर्च शुल्क अतिरिक्त देना होगा | पाठ्यक्रमों के शुल्क सम्बन्धी विशेष जानकारी संस्था से संपर्क करके प्राप्त किया जा सकता है |
५. प्रवेश सम्बन्धी नियम- संस्था द्वारा संचालित किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त करने के लिए संस्था द्वारा उपलब्ध आवेदन पत्र को भरकर पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क के साथ रजि.डाक, कोरियर द्वारा या व्यक्तिगत रूप से जमा करने पर सम्बंधित पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त हो जाता है |
६. परीक्षा विधि- प्रत्येक पाठ्यक्रम के अध्ययनकाल के समाप्ति के बाद संस्था द्वारा पाठ्यक्रम से सम्बंधित प्रश्न पत्र आपको भेजा जायेगा | जिसका उत्तर घर बैठे आप स्वयं लिखेगें | प्रश्न पत्र प्राप्ति के दिनांक से एक माह के अन्दर संस्था को रजिस्टर्ड द्वारा प्रश्न पत्र का उत्तर भेजना होता है | आपके उत्तर पत्र का मूल्यांकन एवं निरिक्षण करने का आधार आपकी विषयगत मौलिकता एवं विषय को स्पष्ट करने की शैली होती है| उत्तर पत्र प्राप्त होने के एक माह के अन्दर आपको तत सम्बंधित प्रमाण पत्र भेजकर सम्मानित किया जाता है | उच्चतम अंक प्राप्त करने वालों को संस्था द्वारा गोल्ड मैडल से सम्मानित किया जाता है| उत्तर पत्र के प्रत्येक पृष्ठ पर आपका हस्ताक्षर आवश्यक है | यह नियम पत्राचार पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों पर लागू होगा |
प्रथम श्रेणी – प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण छात्र को अंक पत्र में ए श्रेणी प्राप्त होगा |
द्रितीय श्रेणी – द्रितीय श्रेणी में उत्तीर्ण छात्र को बी श्रेणी प्राप्त होगा |
असफल छात्र – असफल छात्र को पुनः परीक्षा देना होगा | जिसके लिए परीक्षा शुल्क संस्थान में जमा करना होगा | विद्यार्थी को उसके विषयगत कमजोरी को दूर करने के लिए संस्थान के शिक्षक निःशुल्क प्रशिक्षण देंगे |
७. पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क – संस्थान के प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में पाठ्यक्रम का शिक्षण शुल्क लिखा हुआ है | जिसमे पंजीकरण शुल्क, प्रवेश शुल्क, वार्षिक पत्रिका शुल्क, परीक्षा शुल्क तथा दीक्षांत समारोह शुल्क आदि अनिवार्य शुल्क जुड़ा हुआ है |
८. आवश्यक वैधानिक नियम – १. किसी भी विवाद का न्यायक्षेत्र वाराणसी (उ०प्र०) होगा |
२. पाठ्यक्रम भेज देने के बाद पाठ्यक्रम का शुल्क वापस नही किया जाता है |
३. संस्थान से कोई भी सूचना प्राप्त करने के लिए डाक टिकट लगा लिफाफा भेजना होगा | व्यक्तिगत अथवा फोन से संपर्क करने का समय सायं ३ से ५ बजे तक है | गुरुवार को अवकाश रहता है \
नोट – संस्था के नाम पर किसी प्रकार का असंवैधानि कार्य दंडनीय अपराध माना जायेगा |
विशेष ध्यातव्य – संस्थान के खाते में जमा धनराशि का ही संस्थान उत्तरदायी होगा |
किसी प्रकार के संवैधानिक विवाद के निर्णय का अधिकार वाराणसी न्यायलय के आधीन होगा |
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