यह पाठ्यक्रम भारतीय संस्कृति के पुनर्जन्म एवं कर्म के सिद्धांत पर आधारित है | हिन्दू धर्म का शास्त्रीय ज्ञान कराना इस पाठ्यक्रम का मुख्य उद्देश्य है | हिन्दू धर्म को विधर्मियों ने अपने शासन काल में सुनियोजित षड्यंत्र व् कुचक्रों के द्वारा लालची धर्माचार्यों को खरीदकर उनके द्वारा ग्रंथों में भ्रान्ति उत्पन्न कर इसे दूषित किया गया | संस्थान अपने उद्देश्यों के अनुरूप हिन्दू धर्म के वैज्ञानिक सार्थकता को पुनः प्रमाणित तथा स्थापित करने के लिए संकल्पित है |
इस पाठ्यक्रम को चार पाठों में प्रस्तुत किया गया है |
प्रथम पाठ – गृहस्थ के नित्य कर्म विधि, ब्रह्म, मुहूर्त में उठने से लेकर रात्रि में शयन तक सम्पूर्ण वैदिक कार्य और उनके मन्त्र, संध्या विधि, काल एवं नियम उप नियमों का वर्णन तथा उनके मन्त्र, गायत्री मन्त्र का विधान, षड्गान्यास का चित्रों द्वारा ज्ञापन, विनियोग, मन्त्र तथा कवच, तर्पण तथा आचमन आदि का प्रयोग विधान, आगमोक्त पद्धति से देवपूजा तथा देवी पूजा का विधान, सर्वदेव पूजा का विधान, बलिवैश्यदेव (भूतयज्ञ) का ज्ञात, नित्य होम, देव – देवियों का विशिष्ट पूजन विधान, श्री महालक्ष्मी, श्रीमहाकाली तथा शिव पूजन का वैदिक विधान, अष्टमूर्तियों का पूजा विधान |
द्रितीय पाठ – कर्मकाण्ड के लिए मुहूर्त विचार, सूतिका स्थान, जातकर्म, नामकर्म, अन्नप्राशन, कर्णवेध, विद्यारम्भ, गृहप्रवेश, शांति कार्य, दुकान करने, व्यापार आरम्भ, मुक़दमा दायर, प्रतिमा निर्माण एवं प्रतिष्ठा आदि का मुहूर्त विचार, चौघड़िया मुहूर्त, विवाह प्रकांड, अष्टकूट, नार्डि एवं प्रश्न द्वारा विवाह के फलाफल का चिंतन, सर्वकुट के अपवाद का परिहार, विवाह के फेरे, वर वरण मुहूर्त, विवाह मुहूर्त का विस्तृत अध्ययन, विवाह में गुरु शुक्रास्तादी का विचार, विवाह में कर्तरी दोष, कुनवांश दोष, विवाह के इक्कीस दोषों का अध्ययन |
तृतीय पाठ – वैवाहिक क्रिया में प्रयुक्त कर्मकाण्ड का आलोचनात्मक अर्थ, विवाह कार्य का प्रारम्भ, हवन तथा विवाह पद्धति की समाप्ति, यात्रा में ज्योतिष कर्मकाण्ड का निर्देश, यात्रा के उपयोगी मुहूर्तों का विचार एवं दोषों का परिहार, यात्रा में नक्षत्र शूल का विचार, यात्रा दिन योग का फल, यात्रा के कारण विचार के अंतर्गत वणीज, भद्रा, घात करण द्रष्टादी सूर्य एवं चन्द्र का विचार, बुध, शुक्र,चन्द्रादि का सम्मुख आदि विचार | यात्रा में योग, समय बल एवं दिशा के अनुसार प्रस्थान निर्णय, शकुन तथा अपशकुनों का फलित विचार, स्वपन प्रशाखा का विस्तृत अध्ययन, अपशकुनों का परिहार |
चतुर्थ पाठ – तिथि प्रशाखा, तिथि, संज्ञा विवेक, नंदा, भद्रा, ज्या रिक्तादी तिथियों का विचार शुन्यादी, मन्दादीतिथियों की वृद्धि, तिथि विष घटी विवेक, दिवा मुहूर्त, रात्रि मुहूर्त, वरप्रशाखा, दोषापवाद, यामार्द्ध विचार, नक्षत्र प्रशाखा ध्रुव, चर उग्र, मिश्र, क्षिप्र, मृदु, तीक्ष्ण, नक्षत्र और उनकी संज्ञा, बृहद आदि वर्ग, कर्मादि कर्म आदि वर्ग, सर्वत्र, श्राद्ध योग, भद्रा विचार, षोडश संस्कार, जातकर्म, नामकरण, अन्नप्राशन, चूडाकरण, कर्णवेध, उपनयन आदि का विचार | सौतेले माता – पिता से सपिण्डता, किनसे विवाह नही करना चाहिए, पुनर्विवाह के नियम, पुत्र गोद लेने का नियम, जन्माष्टमी, ऋषिपंचमी, महाशिवरात्रि, एकादशी, व्रतादि के नियम, सूर्यग्रहण में श्राद्ध निषेध, अधिक मास के कर्म, संक्रांतियों की शुभ घड़ी आदि का अध्ययन |
प्राप्त उपाधि – कर्मकाण्ड विशारद | अध्ययन काल – 12 महिना |
शिक्षा शुल्क – 7400 रु. मात्र | इसके अतिरिक्त किसी प्रकार का शुल्क देय नहीं है |शैक्षणिक योग्यता – ज्योतिष विद्या विशारद स्तर या समतुल्य ज्ञान आवश्यक है |
१. पाठ्यक्रम के सम्बन्ध में – संस्था द्वारा ज्योतिष के विभिन्न विभागों के शिक्षा का कार्यक्रम संचालित किया जाता है | जो शास्त्रों द्वारा अनुमोदित होते है | इसका अध्ययन पत्राचार माध्यम से छात्रों को इस प्रकार से कराया जाता है कि उन्हें सरलता पूर्वक सम्बंधित विषय का ज्ञान घर बैठे प्राप्त हो सके | पाठ्यक्रम को समझने व अध्ययन में किसी भी आने वाली अडचनों को संस्था में कार्यरत विशेषज्ञ पत्र, फोन अथवा इन्टरनेट द्वारा तुरंत समाधान कर देते है | (यह सेवा निःशुल्क होती है|) संस्था में शास्त्रीय स्तर आचार्य स्तर तथा ज्योतिष में अनुसन्धान की शिक्षा एवं उपाधि की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है |
२. पाठ्य–सामग्री – प्रत्येक विद्यार्थी को सभी आवश्यक पाठ्य सामग्री सीधे संस्था अथवा उसके उपकेन्द्र द्वारा दी जाएगी | इसके साथ आपको ज्योतिष पाठ्यक्रम में पंचांग, वास्तु पाठ्यक्रम में दिशा – सूचक यंत्र, हस्त रेखाशास्त्र पाठ्यक्रम में मैग्नीफाईंग ग्लास, तंत्र पाठ्यक्रम में लाल चन्दन का माला आदि निःशुल्क दिया जायेगा |
३. शुल्क भेजने का नियम – संस्था द्वारा संचालित प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में उसका पूर्ण शुल्क लिख दिया गया है |
जिसे निम्नलिखित साधनों से आप अपनी सुविधा अनुसार संस्थान को भेज सकते है –
१. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम ड्राफ्ट जो वाराणसी में देय हो |
२. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के निम्नलिखित बैंक अकाउंट में शुल्क जमा किया जा सकता है –
अपने नजदीकी भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया शाखा में खाता नं. ३३७९९७९८०४९ (क्लियरिंग चार्ज ५० रु.अलग से) में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
अपने नजदीकी आई. सी. आई. सी. आई. बैंक शाखा में खाता नं. ६२८३०५०१८१३८ में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानं के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
३. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम (Bhartiya Vaidic Jyotish Sansthanam) के नाम चेक जो वाराणसी में देय हो (चेक द्वारा शुल्क भेजने पर ५० रु.क्लियरिंग चार्ज अलग से देना होगा |)
४. मनीआर्डर द्वारा संस्थान के पते पर शुल्क भेज सकते है |
५. वी.पी.पी. माध्यम से भी आप कोर्स मैटेरियल के लिए आवेदन कर सकते है | (इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी फोन द्वारा संस्थान से प्राप्त की जा सकती है |)
६. नकद शुल्क संस्थान में आकर भी जमा किया जा सकता है |
शुल्क तथा आवेदन पत्र प्राप्त होने के बाद संस्था द्वारा सभी पाठ्यक्रम सामग्री छात्रों को रजिस्टर्ड डाक या कुरियर द्वारा भेज दि जाती है | पाठ्यक्रम में वर्णित शुल्क के अतिरिक्त किसी प्रकार का कोई अन्य शुल्क नही लिया जाता है |
विशेष – किसी प्रकार का भी शुल्क भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम वाराणसी के नाम ही स्वीकृत किया जायेगा |
४. भारत से बाहर के छात्रों के लिए – विदेशी छात्रों को डाक खर्च शुल्क अतिरिक्त देना होगा | पाठ्यक्रमों के शुल्क सम्बन्धी विशेष जानकारी संस्था से संपर्क करके प्राप्त किया जा सकता है |
५. प्रवेश सम्बन्धी नियम- संस्था द्वारा संचालित किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त करने के लिए संस्था द्वारा उपलब्ध आवेदन पत्र को भरकर पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क के साथ रजि.डाक, कोरियर द्वारा या व्यक्तिगत रूप से जमा करने पर सम्बंधित पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त हो जाता है |
६. परीक्षा विधि- प्रत्येक पाठ्यक्रम के अध्ययनकाल के समाप्ति के बाद संस्था द्वारा पाठ्यक्रम से सम्बंधित प्रश्न पत्र आपको भेजा जायेगा | जिसका उत्तर घर बैठे आप स्वयं लिखेगें | प्रश्न पत्र प्राप्ति के दिनांक से एक माह के अन्दर संस्था को रजिस्टर्ड द्वारा प्रश्न पत्र का उत्तर भेजना होता है | आपके उत्तर पत्र का मूल्यांकन एवं निरिक्षण करने का आधार आपकी विषयगत मौलिकता एवं विषय को स्पष्ट करने की शैली होती है| उत्तर पत्र प्राप्त होने के एक माह के अन्दर आपको तत सम्बंधित प्रमाण पत्र भेजकर सम्मानित किया जाता है | उच्चतम अंक प्राप्त करने वालों को संस्था द्वारा गोल्ड मैडल से सम्मानित किया जाता है| उत्तर पत्र के प्रत्येक पृष्ठ पर आपका हस्ताक्षर आवश्यक है | यह नियम पत्राचार पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों पर लागू होगा |
प्रथम श्रेणी – प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण छात्र को अंक पत्र में ए श्रेणी प्राप्त होगा |
द्रितीय श्रेणी – द्रितीय श्रेणी में उत्तीर्ण छात्र को बी श्रेणी प्राप्त होगा |
असफल छात्र – असफल छात्र को पुनः परीक्षा देना होगा | जिसके लिए परीक्षा शुल्क संस्थान में जमा करना होगा | विद्यार्थी को उसके विषयगत कमजोरी को दूर करने के लिए संस्थान के शिक्षक निःशुल्क प्रशिक्षण देंगे |
७. पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क – संस्थान के प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में पाठ्यक्रम का शिक्षण शुल्क लिखा हुआ है | जिसमे पंजीकरण शुल्क, प्रवेश शुल्क, वार्षिक पत्रिका शुल्क, परीक्षा शुल्क तथा दीक्षांत समारोह शुल्क आदि अनिवार्य शुल्क जुड़ा हुआ है |
८. आवश्यक वैधानिक नियम – १. किसी भी विवाद का न्यायक्षेत्र वाराणसी (उ०प्र०) होगा |
२. पाठ्यक्रम भेज देने के बाद पाठ्यक्रम का शुल्क वापस नही किया जाता है |
३. संस्थान से कोई भी सूचना प्राप्त करने के लिए डाक टिकट लगा लिफाफा भेजना होगा | व्यक्तिगत अथवा फोन से संपर्क करने का समय सायं ३ से ५ बजे तक है | गुरुवार को अवकाश रहता है \
नोट – संस्था के नाम पर किसी प्रकार का असंवैधानि कार्य दंडनीय अपराध माना जायेगा |
विशेष ध्यातव्य – संस्थान के खाते में जमा धनराशि का ही संस्थान उत्तरदायी होगा |
किसी प्रकार के संवैधानिक विवाद के निर्णय का अधिकार वाराणसी न्यायलय के आधीन होगा |
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