मानव शरीर में आत्मा, परमात्मा के सूक्ष्म अंश के रूप में एक चेतन शक्ति के स्वरुप में विराजमान है, जो लोगों का जन्म जन्मान्तरों के प्रभाव के अंतर्गत शरीर का संचालन करती है | सृष्टि के मूल में ५ तत्व है | मानव शारीर भी पंच तत्वों से निर्मित है | उन तत्वों के विभिन्न अनुपातों के समन्वय के कारण इनसे उत्पन्न होने वाली चमत्कारी तरंग मानव चेतना को प्रभाव करती है | जिसे हम देख नहीं सकते | जैसे कि – रेडियों, टी० बी० चालू करने पर उन तरंगों का प्रत्यक्ष अनुभव दृश्य हो जाता है, इसी प्रकार व्यक्ति की जन्म तिथि की अंक नौ ग्रहों के प्रतिनिधि होते है |जो व्यक्ति के जीवन को अपने तरंगों द्वारा प्रभावित करते है |और उनके प्रभाव की गणना हम अंक ज्योतिष के नियमों के द्वारा प्रत्यक्ष रूप से अनुभव करते है |प्रत्येक अंक का अपना इतिहास, गति, व्यक्तित्व और प्रभाव होता है | चुकी इन अंकों का सम्बन्ध ग्रहों से सीधे – सीधे होता है | अतः अंक ज्योतिष के द्वारा हम जीवन के प्रत्येक क्षण, वर्ष, माह, दिन, घंटा, मिनट तक का हाल जानने में समर्थ हो जाते है |अंक ज्योतिष जीवन का सर्व पक्षीय विकास एवं घटनाये तथा उनका भविष्य बताने में पूर्ण समक्ष है | इस पाठ्यक्रम को चार भागों में अध्ययन प्रस्तुत किया गया है –
प्रथम पाठ – अंक शास्त्र परिचय, अंक विद्या का रहस्य, अंक विद्या की सत्यता के प्रमाण, महत्वपूर्ण सूत्र, मूलांक निकालने का सुगम तरीका, भाग्यांक निकालने का सुगम तरीका, जब आपका मूलांक आपको मालूम ना हो, शून्य और इसकी गणना का विधान, मूलांक १ से ९ तक प्रत्येक मुलांको का गुण – धर्म एवं परिचय |
द्रितीय पाठ – ग्रह और मुलांको का सम्बन्ध, मूलांक सरणी जन्म तिथि के अनुसार संयुक्त अंक सरणी, अक्षर मूलांक सारणी, सूर्य राशि अंक अथवा मासिक अंक सारणी, अंकों के सुचक ग्रह, दिन तथा रत्न, अंक तथा सम्बंधित शारीर के अंक तथा सम्बंधित रंग, जनवरी से दिसंबर तक प्रत्येक माह में जन्म लेने वाले प्रत्येक मूलांक के जातक का फल – लाभदायक व्यवसाय क्या हों? हानिकारक व्यवसाय, शुभ दिशा, हानिकारक दिशा, आपके मित्र और शत्रु अंक, शुभ दिन, अशुभ दिन, शुभ तारीख स्वास्थ्य एवं दोष निवारण के उपाय और यंत्र |
तृतीय पाठ – आपका भाग्योदय कब होगा? जन्म कुंडली द्वारा अंक निर्धारण कैसे करें? अंकों के अनुसार रत्न धारण, अंकों का व्यवसाय में उपयोग, यौगिक अंक, १० से ७८ तक और उनका फल, चमत्कारी प्रश्न विद्या, चोरी हुयी या नष्ट वास्तु का लगाना, जीवन साथी का चयन कैसे करें? ज्योतिष के अनुसार मेष, वृष, मिथुन, कर्क, सिंह, कन्या, तुला, वृश्चिक, धनु, मकर, कुंभ, मीन इन बारह लग्नों में अलग –अलग मूलांक का फल (शिक्षा, विवाह, धन, व्यवसाय, स्वस्थ्य, उन्नति स्वाभाव)
चतुर्थ पाठ – सूक्ष्म भाग्यांक और उसका महत्व, सूक्ष्म भाग्यांक का फल और उसकी उपयोगिता, अंक कुंडली रचना और उसके नियम, अंक कुंडली में दृष्टि सम्बन्ध, अंक कुंडली में योग, अंक कुंडली द्वारा फल कथन, फल कथन करने की विधि, अंकों का योगफल, अंकों का वर्षफल जानने की विधियां, अंकों द्वारा मासिक फल जानने की विधियाँ, अंकों द्वारा होरफल अथवा प्रत्येक घंटे का फल जानने की विधि, जीवन साथी का चुनाव, विवाह मेलापक अंक सरणी, विवाह कब होगा? विवाह में अडचने अथवा विलम्ब, मूक प्रश्न का फल, प्रश्नोत्तर की विभिन्न विधियाँ, कैसा रहेगा आज का दिन, साप्ताहिक फल, जीवन के मोड़ की महत्वपूर्ण अंक सरणी, हस्तरेखा विज्ञान तथा अंक ज्योतिष का समन्वय |
प्राप्त उपाधि – अंक ज्योतिष विशारद | अध्ययन काल – ४ महिना|
शिक्षा शुल्क – 5400रु. मात्र | इसके अतिरिक्त किसी प्रकार का शुल्क देय नहीं है शैक्षणिक योग्यता– इंटरमीडिएट स्तर |
१. पाठ्यक्रम के सम्बन्ध में – संस्था द्वारा ज्योतिष के विभिन्न विभागों के शिक्षा का कार्यक्रम संचालित किया जाता है | जो शास्त्रों द्वारा अनुमोदित होते है | इसका अध्ययन पत्राचार माध्यम से छात्रों को इस प्रकार से कराया जाता है कि उन्हें सरलता पूर्वक सम्बंधित विषय का ज्ञान घर बैठे प्राप्त हो सके | पाठ्यक्रम को समझने व अध्ययन में किसी भी आने वाली अडचनों को संस्था में कार्यरत विशेषज्ञ पत्र, फोन अथवा इन्टरनेट द्वारा तुरंत समाधान कर देते है | (यह सेवा निःशुल्क होती है|) संस्था में शास्त्रीय स्तर आचार्य स्तर तथा ज्योतिष में अनुसन्धान की शिक्षा एवं उपाधि की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है |
२. पाठ्य–सामग्री – प्रत्येक विद्यार्थी को सभी आवश्यक पाठ्य सामग्री सीधे संस्था अथवा उसके उपकेन्द्र द्वारा दी जाएगी | इसके साथ आपको ज्योतिष पाठ्यक्रम में पंचांग, वास्तु पाठ्यक्रम में दिशा – सूचक यंत्र, हस्त रेखाशास्त्र पाठ्यक्रम में मैग्नीफाईंग ग्लास, तंत्र पाठ्यक्रम में लाल चन्दन का माला आदि निःशुल्क दिया जायेगा |
३. शुल्क भेजने का नियम – संस्था द्वारा संचालित प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में उसका पूर्ण शुल्क लिख दिया गया है |
जिसे निम्नलिखित साधनों से आप अपनी सुविधा अनुसार संस्थान को भेज सकते है –
१. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम ड्राफ्ट जो वाराणसी में देय हो |
२. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के निम्नलिखित बैंक अकाउंट में शुल्क जमा किया जा सकता है –
अपने नजदीकी भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया शाखा में खाता नं. ३३७९९७९८०४९ (क्लियरिंग चार्ज ५० रु.अलग से) में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
अपने नजदीकी आई. सी. आई. सी. आई. बैंक शाखा में खाता नं. ६२८३०५०१८१३८ में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानं के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
३. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम (Bhartiya Vaidic Jyotish Sansthanam) के नाम चेक जो वाराणसी में देय हो (चेक द्वारा शुल्क भेजने पर ५० रु.क्लियरिंग चार्ज अलग से देना होगा |)
४. मनीआर्डर द्वारा संस्थान के पते पर शुल्क भेज सकते है |
५. वी.पी.पी. माध्यम से भी आप कोर्स मैटेरियल के लिए आवेदन कर सकते है | (इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी फोन द्वारा संस्थान से प्राप्त की जा सकती है |)
६. नकद शुल्क संस्थान में आकर भी जमा किया जा सकता है |
शुल्क तथा आवेदन पत्र प्राप्त होने के बाद संस्था द्वारा सभी पाठ्यक्रम सामग्री छात्रों को रजिस्टर्ड डाक या कुरियर द्वारा भेज दि जाती है | पाठ्यक्रम में वर्णित शुल्क के अतिरिक्त किसी प्रकार का कोई अन्य शुल्क नही लिया जाता है |
विशेष – किसी प्रकार का भी शुल्क भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम वाराणसी के नाम ही स्वीकृत किया जायेगा |
४. भारत से बाहर के छात्रों के लिए – विदेशी छात्रों को डाक खर्च शुल्क अतिरिक्त देना होगा | पाठ्यक्रमों के शुल्क सम्बन्धी विशेष जानकारी संस्था से संपर्क करके प्राप्त किया जा सकता है |
५. प्रवेश सम्बन्धी नियम- संस्था द्वारा संचालित किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त करने के लिए संस्था द्वारा उपलब्ध आवेदन पत्र को भरकर पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क के साथ रजि.डाक, कोरियर द्वारा या व्यक्तिगत रूप से जमा करने पर सम्बंधित पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त हो जाता है |
६. परीक्षा विधि- प्रत्येक पाठ्यक्रम के अध्ययनकाल के समाप्ति के बाद संस्था द्वारा पाठ्यक्रम से सम्बंधित प्रश्न पत्र आपको भेजा जायेगा | जिसका उत्तर घर बैठे आप स्वयं लिखेगें | प्रश्न पत्र प्राप्ति के दिनांक से एक माह के अन्दर संस्था को रजिस्टर्ड द्वारा प्रश्न पत्र का उत्तर भेजना होता है | आपके उत्तर पत्र का मूल्यांकन एवं निरिक्षण करने का आधार आपकी विषयगत मौलिकता एवं विषय को स्पष्ट करने की शैली होती है| उत्तर पत्र प्राप्त होने के एक माह के अन्दर आपको तत सम्बंधित प्रमाण पत्र भेजकर सम्मानित किया जाता है | उच्चतम अंक प्राप्त करने वालों को संस्था द्वारा गोल्ड मैडल से सम्मानित किया जाता है| उत्तर पत्र के प्रत्येक पृष्ठ पर आपका हस्ताक्षर आवश्यक है | यह नियम पत्राचार पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों पर लागू होगा |
प्रथम श्रेणी – प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण छात्र को अंक पत्र में ए श्रेणी प्राप्त होगा |
द्रितीय श्रेणी – द्रितीय श्रेणी में उत्तीर्ण छात्र को बी श्रेणी प्राप्त होगा |
असफल छात्र – असफल छात्र को पुनः परीक्षा देना होगा | जिसके लिए परीक्षा शुल्क संस्थान में जमा करना होगा | विद्यार्थी को उसके विषयगत कमजोरी को दूर करने के लिए संस्थान के शिक्षक निःशुल्क प्रशिक्षण देंगे |
७. पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क – संस्थान के प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में पाठ्यक्रम का शिक्षण शुल्क लिखा हुआ है | जिसमे पंजीकरण शुल्क, प्रवेश शुल्क, वार्षिक पत्रिका शुल्क, परीक्षा शुल्क तथा दीक्षांत समारोह शुल्क आदि अनिवार्य शुल्क जुड़ा हुआ है |
८. आवश्यक वैधानिक नियम – १. किसी भी विवाद का न्यायक्षेत्र वाराणसी (उ०प्र०) होगा |
२. पाठ्यक्रम भेज देने के बाद पाठ्यक्रम का शुल्क वापस नही किया जाता है |
३. संस्थान से कोई भी सूचना प्राप्त करने के लिए डाक टिकट लगा लिफाफा भेजना होगा | व्यक्तिगत अथवा फोन से संपर्क करने का समय सायं ३ से ५ बजे तक है | गुरुवार को अवकाश रहता है \
नोट – संस्था के नाम पर किसी प्रकार का असंवैधानि कार्य दंडनीय अपराध माना जायेगा |
विशेष ध्यातव्य – संस्थान के खाते में जमा धनराशि का ही संस्थान उत्तरदायी होगा |
किसी प्रकार के संवैधानिक विवाद के निर्णय का अधिकार वाराणसी न्यायलय के आधीन होगा |
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