Vastu vidya ratnacharya
Max Price :₹ 24000rs.
Price : ₹ 6400

Vastu vidya ratnacharya

  • Vastu
  • 25000

वास्तु शास्त्र का यह स्नाकोत्तर स्तरीय पाठ्यक्रम है | जिसमें वास्तुशास्त्र के आधुनिक तथा प्राचीन, सिद्धांतों के गूढ़ रहस्यों को उद्घाटित कर अध्ययन प्रस्तुत किया गया है | जो विद्यार्थी वास्तु विद्या विशारद स्तर अथवा उसके समतुल्य का ज्ञान रखते हैं | उन्ही को वास्तु आचार्य में प्रवेश लेना लाभकारी होगा | इस पाठ्यक्रम को चार पाठो में विभाजित क्र अध्य्यन प्रस्तुत किया गया हैं |

१३. वास्तु विद्या आचार्य
(वास्तु शास्त्र का आचार्य स्तरीय पाठ्यक्रम)

प्रथम पाठ – प्रारंभिक वास्तु शास्त्र का वास्तु एवं ज्योतिष के संबंधों का विस्तृत विश्लेषण, राशि चक्र और सांख्य शास्त्र के अनुसार आवास स्थान का चुनाव, रंग, विज्ञान,विभिन्न प्रकार के आकर वाले वास्तु का फलित विवरण, विधि शूल क्या होता है, पूर्ण विवेचना, भूमि पूजन तथा मुहूर्त, प्लाट के चारो तरफ के कम्पाउण्ड के दिवार और फाटक, वास्तु में स्थित अष्टक चक्र, वास्तु की आंतरिक रचना एवं आधुनिक व्यवस्था, वास्तु शांति और गृह प्रवेश विधान|

द्रितीय पाठ – वास्तु पर ग्रहों का प्रभाव, वास्तु में वेध और उनके प्रकार, भूमि के ले आउट में से सुयोग्य प्लाट का कैसे चयन करें, अशुभ विथि शूल से बचने का उपाय, जक्शन प्लाट के प्रकार, L तथा C आकार के वास्तु पर निर्माण कार्य कैसे करें तथा उनके लिए सावधानियाँ, L आकार का अशुभ प्लाट शुभ कैसे किया जाये, वास्तु को स्पर्श करते हुए पेड़ और उसका प्रभाव, खेती के लिए उपयोगी वास्तु विज्ञान, बहु प्रतलीय वास्तु, टीले पर की वास्तु, गड्ढे की वास्तु का फल, शापित वास्तु, बाधित वास्तु, वास्तु के शुभाशुभ संकेत, वास्तु के पिरामिड होना चाहिए या नहीं |

तृतीय पाठ – प्रकृति के महत्व और वास्तु भवन की आयु तथा शुभाशुभ लक्षण, भूखंड की गुणवत्ता के लक्षण, भूखंड में ढलान का चित्र सहित वर्णन, ऊर्जा स्तर तथा भूखंड में व्याप्त चुम्बकीय क्षेत्र का चित्रों द्वारा ज्ञान कोणों में स्थित भूखंडों के प्रकार फल आदि का सचित्र वर्णन, वास्तु अष्टचक्र का वर्णन, विभिन्न कोणों में स्थित भवनों का फल, कोणों में स्थित भूखंडों के इर्द – गिर्द खुले हुए कोनो भूखंडों के क्रय करने के पूर्व विचार, अग्रेत भूखंडों का सचित्र वर्णन |

चतुर्थ पाठ – विदिशा भूखंडों की वास्तु रचनाएँ, मानचित्रों द्वारा उनका अध्ययन, मुख्य भवन का प्रवेश द्वार और उनके गुण दोष विभिन्न दिशाओं में भूखंडों का झुकाव सचित्र वर्णन, विभिन्न दिशाओं की सड़क की ओर निर्मित भावना रेखा का चित्र गृह समूहों का निर्माण, फ्लैट निर्माण कालीदास कृत पुर्व्कालामृत शास्त्र के अनुसार वास्तु के सिद्धांत, वास्तु सम्बंधित वाराहमिहिर के नन्द्यावर्त वास्तु, वर्धमान वास्तु, स्वस्तिक वास्तु आदि का विचार, एकासितपद वास्तु एवं एकासित त्रिकोण वास्तु आदि के निर्माण विधि, वास्तु पुरुष के मर्मस्थान, नगर वास्तु विचार |

प्राप्त उपाधि – वास्तु विद्या आचार्य | अध्ययन काल – ४ महिना|
शिक्षा शुल्क – 6400 रु. मात्र | इसके अतिरिक्त किसी प्रकार का शुल्क देय नहीं है |(शुल्क सम्बन्धी अन्य विस्तृत जानकारी के लिए पेज न०. २९ पर देखें)
शैक्षणिक योग्यता – ज्योतिष विद्या विशारद स्तर या समतुल्य का ज्ञान आवश्यक है |

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नियमावली

१. पाठ्यक्रम के सम्बन्ध में – संस्था द्वारा ज्योतिष के विभिन्न विभागों के शिक्षा का कार्यक्रम संचालित किया जाता है | जो शास्त्रों द्वारा अनुमोदित होते है | इसका अध्ययन पत्राचार माध्यम से छात्रों को इस प्रकार से कराया जाता है कि उन्हें सरलता पूर्वक सम्बंधित विषय का ज्ञान घर बैठे प्राप्त हो सके | पाठ्यक्रम को समझने व अध्ययन में किसी भी आने वाली अडचनों को संस्था में कार्यरत विशेषज्ञ पत्र, फोन अथवा इन्टरनेट द्वारा तुरंत समाधान कर देते है | (यह सेवा निःशुल्क होती है|) संस्था में शास्त्रीय स्तर आचार्य स्तर तथा ज्योतिष में अनुसन्धान की शिक्षा एवं उपाधि की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है |

२. पाठ्य–सामग्री – प्रत्येक विद्यार्थी को सभी आवश्यक पाठ्य सामग्री सीधे संस्था अथवा उसके उपकेन्द्र द्वारा दी जाएगी | इसके साथ आपको ज्योतिष पाठ्यक्रम में पंचांग, वास्तु पाठ्यक्रम में दिशा – सूचक यंत्र, हस्त रेखाशास्त्र पाठ्यक्रम में मैग्नीफाईंग ग्लास, तंत्र पाठ्यक्रम में लाल चन्दन का माला आदि निःशुल्क दिया जायेगा |

३. शुल्क भेजने का नियम – संस्था द्वारा संचालित प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में उसका पूर्ण शुल्क लिख दिया गया है |
जिसे निम्नलिखित साधनों से आप अपनी सुविधा अनुसार संस्थान को भेज सकते है –
१. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम ड्राफ्ट जो वाराणसी में देय हो |
२. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के निम्नलिखित बैंक अकाउंट में शुल्क जमा किया जा सकता है –
अपने नजदीकी भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया शाखा में खाता नं. ३३७९९७९८०४९ (क्लियरिंग चार्ज ५० रु.अलग से) में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
अपने नजदीकी आई. सी. आई. सी. आई. बैंक शाखा में खाता नं. ६२८३०५०१८१३८ में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानं के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
३. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम (Bhartiya Vaidic Jyotish Sansthanam) के नाम चेक जो वाराणसी में देय हो (चेक द्वारा शुल्क भेजने पर ५० रु.क्लियरिंग चार्ज अलग से देना होगा |)
४. मनीआर्डर द्वारा संस्थान के पते पर शुल्क भेज सकते है |
५. वी.पी.पी. माध्यम से भी आप कोर्स मैटेरियल के लिए आवेदन कर सकते है | (इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी फोन द्वारा संस्थान से प्राप्त की जा सकती है |)
६. नकद शुल्क संस्थान में आकर भी जमा किया जा सकता है |
शुल्क तथा आवेदन पत्र प्राप्त होने के बाद संस्था द्वारा सभी पाठ्यक्रम सामग्री छात्रों को रजिस्टर्ड डाक या कुरियर द्वारा भेज दि जाती है | पाठ्यक्रम में वर्णित शुल्क के अतिरिक्त किसी प्रकार का कोई अन्य शुल्क नही लिया जाता है |
विशेष – किसी प्रकार का भी शुल्क भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम वाराणसी के नाम ही स्वीकृत किया जायेगा |
४. भारत से बाहर के छात्रों के लिए – विदेशी छात्रों को डाक खर्च शुल्क अतिरिक्त देना होगा | पाठ्यक्रमों के शुल्क सम्बन्धी विशेष जानकारी संस्था से संपर्क करके प्राप्त किया जा सकता है |
५. प्रवेश सम्बन्धी नियम- संस्था द्वारा संचालित किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त करने के लिए संस्था द्वारा उपलब्ध आवेदन पत्र को भरकर पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क के साथ रजि.डाक, कोरियर द्वारा या व्यक्तिगत रूप से जमा करने पर सम्बंधित पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त हो जाता है |
६. परीक्षा विधि- प्रत्येक पाठ्यक्रम के अध्ययनकाल के समाप्ति के बाद संस्था द्वारा पाठ्यक्रम से सम्बंधित प्रश्न पत्र आपको भेजा जायेगा | जिसका उत्तर घर बैठे आप स्वयं लिखेगें | प्रश्न पत्र प्राप्ति के दिनांक से एक माह के अन्दर संस्था को रजिस्टर्ड द्वारा प्रश्न पत्र का उत्तर भेजना होता है | आपके उत्तर पत्र का मूल्यांकन एवं निरिक्षण करने का आधार आपकी विषयगत मौलिकता एवं विषय को स्पष्ट करने की शैली होती है| उत्तर पत्र प्राप्त होने के एक माह के अन्दर आपको तत सम्बंधित प्रमाण पत्र भेजकर सम्मानित किया जाता है | उच्चतम अंक प्राप्त करने वालों को संस्था द्वारा गोल्ड मैडल से सम्मानित किया जाता है| उत्तर पत्र के प्रत्येक पृष्ठ पर आपका हस्ताक्षर आवश्यक है | यह नियम पत्राचार पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों पर लागू होगा |

प्रथम श्रेणी – प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण छात्र को अंक पत्र में ए श्रेणी प्राप्त होगा |
द्रितीय श्रेणी – द्रितीय श्रेणी में उत्तीर्ण छात्र को बी श्रेणी प्राप्त होगा |
असफल छात्र – असफल छात्र को पुनः परीक्षा देना होगा | जिसके लिए परीक्षा शुल्क संस्थान में जमा करना होगा | विद्यार्थी को उसके विषयगत कमजोरी को दूर करने के लिए संस्थान के शिक्षक निःशुल्क प्रशिक्षण देंगे |
७. पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क – संस्थान के प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में पाठ्यक्रम का शिक्षण शुल्क लिखा हुआ है | जिसमे पंजीकरण शुल्क, प्रवेश शुल्क, वार्षिक पत्रिका शुल्क, परीक्षा शुल्क तथा दीक्षांत समारोह शुल्क आदि अनिवार्य शुल्क जुड़ा हुआ है |
८. आवश्यक वैधानिक नियम – १. किसी भी विवाद का न्यायक्षेत्र वाराणसी (उ०प्र०) होगा |
२. पाठ्यक्रम भेज देने के बाद पाठ्यक्रम का शुल्क वापस नही किया जाता है |
३. संस्थान से कोई भी सूचना प्राप्त करने के लिए डाक टिकट लगा लिफाफा भेजना होगा | व्यक्तिगत अथवा फोन से संपर्क करने का समय सायं ३ से ५ बजे तक है | गुरुवार को अवकाश रहता है \
नोट – संस्था के नाम पर किसी प्रकार का असंवैधानि कार्य दंडनीय अपराध माना जायेगा |
विशेष ध्यातव्य – संस्थान के खाते में जमा धनराशि का ही संस्थान उत्तरदायी होगा |
किसी प्रकार के संवैधानिक विवाद के निर्णय का अधिकार वाराणसी न्यायलय के आधीन होगा |

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