jyotish kalanidhi short term research work(Mphil)
ज्योतिष विधा के सम्पूर्ण अध्ययन हेतु इस पाठयक्रम को सात विभागों में बांटकर प्रस्तुतु किया गया है | अध्यन पश्चात विद्यार्थी को अपने पसंद की किसी एक पाठ पर संसथान द्वारा भेजे गए शीर्षक पर अपनी मौलिक व्याख्या लिखनी होती है | जो एक प्रकार से लघु शोध होता है |जो कम से कम ६० पेज का होना चाहिए | इस पाठ्यक्रम में परीक्षा नहीं होती है | संस्थान का ज्योतिष मण्डल आपके लघु शोध का निरिक्षण करके आपको आचार्य ज्योतिष कलानिधि के उपाधि प्रदान कर सम्मानित करता है |
प्रथम पाठ – फलित ज्योतिष के गूढ रहस्य
द्रितीय पाठ – फलादेश करने की कला
तृतीय पाठ – मुहूर्त ज्योतिष विचार
चतुर्थ पाठ – आयुष्य निर्णय
पंचम पाठ – मेलापक विचार
षष्ठ पाठ – ग्रह दोष शांति का रहस्य
सप्तम पाठ – गोचर / अष्टक वर्ग
ज्योतिष विधा के सम्पूर्ण अध्ययन हेतु इस पाठयक्रम को सात विभागों में बांटकर प्रस्तुतु किया गया है | अध्यन पश्चात विद्यार्थी को अपने पसंद की किसी एक पाठ पर संसथान द्वारा भेजे गए शीर्षक पर अपनी मौलिक व्याख्या लिखनी होती है | जो एक प्रकार से लघु शोध होता है |जो कम से कम ६० पेज का होना चाहिए | इस पाठ्यक्रम में परीक्षा नहीं होती है | संस्थान का ज्योतिष मण्डल आपके लघु शोध का निरिक्षण करके आपको आचार्य ज्योतिष कलानिधि के उपाधि प्रदान कर सम्मानित करता है |
ज्योतिष के सैद्धान्तिक कलानिधि आचार्य पाठयक्रम के अंतर्गत ज्योतिष जिज्ञासुओं के लिए ज्योतिष सूत्रों के अध्ययन मनन, चिंतन तथा अनुशीलन के आधार पर ज्योतिष का यह एक उच्च्कृत पाठ्यक्रम बनाया गया है जिसके अंतर्गत ज्योतिष के सम्पूर्ण विभागों के तात्विक रहस्यों की विवेचना प्रस्तुत किया गया है जो आचार्य स्तर के ज्योतिष सिक्षा तथा व्यावसायिक ज्योतिष में श्रेष्ठ मानदंड स्थापित करते है |
प्रथम पाठ (फलित ज्योतिष के गूढ़रहस्य) – फलित ज्योतिष के मुख्य सूत्र, रामानुजाचार्य एवं पाराशर द्वारा प्रणित फलित सूत्र, स्त्री जातक के फलादेश के मुख्य सूत्र, नक्षत्रों द्वारा फलित ज्ञान का सूत्र, षड्वर्गों के फलित का गूढ़ रहस्य, तिथि वार, नक्षत्र एवं योग पंचांग द्वारा फलित का नियम महादशा की वैज्ञानिकता तथा फलित सिद्धांत मेषादी लग्नों के अनुभूत सूत्र, विशिष्ट योगों के सूत्र दैनिक प्रयोगों की सारणी |
द्रितीय पाठ (फलादेश करने की कला) – त्रिकोण स्थान, त्रिशादाय स्थान, केंद्र स्थान, अष्टम स्थान, लग्न भाव, धन, तथा व्यय स्थान, फलादेश के नियम | भाव स्तम्भ, भावस्थ ग्रह स्थान, भाव हानि, योग स्तम्भ, भावेश स्तम्भ, दश वर्ग फलित स्तम्भ के नियम |
विशेष फलित स्तम्भ, गोचर स्तम्भ, दशाफल स्तम्भ,सुदर्शन फल विचार पद्धति, फलित अवधि निर्धारण स्तम्भ, दोष निवारण स्तम्भ, फलित के विशेष नियम, षड्वर्ग विचार एवं फलादेश करने की कला |
तृतीय पाठ (मुहूर्त ज्योतिष विचार) – सूतिका स्नान, स्तपान, जतिकर्म, नामकरण, दोला रोहण, अन्न प्राशन, कर्णवेध, चूड़ाकर्म, अक्षारम्भ, वागदान, विवाह मुहूर्त, लग्न शुद्धि ग्रहों का फल, वधु प्रवेश, यात्रा मुहूर्त,चन्द्र वाश विचार, शुभाशुभ प्रकरण, सिद्ध योग, यमघंट योग, मास शून्य तिथि, अकच योग,सर्वार्थ सिद्धि योग, आनंद आदि योग, त्याज्य नक्षत्र, विशघती, भद्रा विचार, गंडांत विचार, विषकन्या दोष परिहार, काकड़ी विचार, योगिनी विचार, घात चक्र, वार,नक्षत्र विचार,चौघड़िया मुहूर्त, राहू काल ज्ञात करने की विधि, सर्वकार्य सिद्धि के लिए होरा मुहूर्त, गृह आरम्भ एवं भवन के शुभाशुभ योग आदि |
चतुर्थ पाठ (आयुष्य निर्णय) – पराशर मतानुसार मृत्यु विचार, मारक स्थान का निर्णय, मारक ग्रह का निर्णय, मृत्युप्रद ग्रहों का निर्णय करते समय अपनायी जाने वाली पद्धति, आयु वृद्धि के उपकरण, आयु क्षीण करने वाले योग, अन्य मारक ग्रह, शनि के विशेष मारकता, बुधादी अन्य शुभाग्रहों की व्यवस्था, सूर्य व चन्द्र का विशेष नियम, मारक दशा का विशेष फल नियम |
सारावली मतानुसार मृत्यु वीचार – आयु के भेद, अन्शायु साधन, लग्नायु में विशेष संस्कार, पिंडायु साधन विचार, निसर्गायु साधन, अष्टमस्त ग्रह से मृत्यु कारण, अन्य योगों से मृत्यु प्रकार, मृत्यु का स्थान, उक्त योगों के आभाव में, द्रेष्कार्ण से मृत्यु कारण, वृष द्रेष्कार्ण के मृत्यु कारण | ऋषि मन्त्रेश्वर के अनुसार मृत्यु विचार – दिन मृत्यु, दिन रोग, विष घटी |
उत्तरकालमृत के अनुसार मृत्यु विचार – अंशायु ज्ञान, अन्शायुर्दाय का शोधन, लग्नायुर्दाय का विचार | महर्षि जैमिनी के अनुसार मृत्यु विचार – मारक ग्रह का विचार, अल्पादि आयु में भी मृत्यु समय ज्ञान, आयु निर्धारण का अन्य प्रकार, इस आयु प्रकार में कक्ष्यहानी, कक्ष्यहानी का अपवाद, मार्क दशा का पुनर्विचार, अष्टम से त्रिकोण राशियों में भी मृत्यु, सूर्य व् शुक्र से अष्टम राशि की दशा का मारकत्व बालारिष्ट करें कुछ विशेष नियम |
पंचम पाठ – मेलापक विचार – विवाह संस्कार विधि, विवाह के पूर्व विचारणीय तथ्य, विवाह सम्बन्धी विशेष योग, पुरुष जातक विचार, स्त्री जातक विचार, दाम्पत्य जीवन में सुख – दुःख का विचार, मांगलिक दोष, ज्ञान विधि, वर कन्या, मेलापक विचार, दाम्पत्य जीवन के अनिष्ट ग्रहों के शांति के उपाय, कुछ अनुभूत टोटके |
षष्ठ पाठ – ग्रह दोष शांति का रहस्य –ग्रहों के अनिष्टफल का परिचय, नौ ग्रहों का स्वरुप वर्णन, उनके कारक, उपाष्य देव, एवं ग्रह शांति के लिए दान, पूजा एवं कवच, लग्नानुसार, ग्रहों के लिए रत्नों का निर्धारण | ग्रह दोष शमन के तांत्रिक विधान, प्राण प्रतिष्ठा, षोडशो उपचार पूजन विधि, तंत्र शाश्त्रीय योग पद्धति, विभिन्न यंत्रों की पूजन विधि, अरिष्ट निवारण हेतु मन्त्र साधना, ग्रह दोष शमन हेतु आवश्यक निर्देश |
सप्तम पाठ – गोचर / अष्टक वर्ग – गोचर विचार से विभिन्न भावों में ग्रहों का फल, ग्रहों के विशेष प्रभाव का काल, गोचर फलादेश के विशेष सिद्धांत, गोचरवश शनि का विशेष विचार, जातकाभरण के अनुसार गोचारफल, गोचरवश ग्रहों के भावों में भ्रमण के अनुभुतफल, जन्म समय के ग्रहों पर से ग्रहों का भ्रमणफल, गोचर ग्रहों का सिद्धफल, ग्रहों पर से ग्रहों के भ्रमण का अनुभूत फल, अष्टकवर्ग से गोचर विचार |
प्राप्त उपाधि – आचार्य ज्योतिष कलानिधि
अध्ययन काल – ६ महिना
शिक्षा शुल्क – 10500रु. इसके अतिरिक्त अन्य किसी प्रकार का शुल्क देय नही होता है |
शैक्षणिक योग्यता – ज्योतिष में स्नातकोत्तर स्तर की योग्यता होनी आवश्यक है |
१. पाठ्यक्रम के सम्बन्ध में – संस्था द्वारा ज्योतिष के विभिन्न विभागों के शिक्षा का कार्यक्रम संचालित किया जाता है | जो शास्त्रों द्वारा अनुमोदित होते है | इसका अध्ययन पत्राचार माध्यम से छात्रों को इस प्रकार से कराया जाता है कि उन्हें सरलता पूर्वक सम्बंधित विषय का ज्ञान घर बैठे प्राप्त हो सके | पाठ्यक्रम को समझने व अध्ययन में किसी भी आने वाली अडचनों को संस्था में कार्यरत विशेषज्ञ पत्र, फोन अथवा इन्टरनेट द्वारा तुरंत समाधान कर देते है | (यह सेवा निःशुल्क होती है|) संस्था में शास्त्रीय स्तर आचार्य स्तर तथा ज्योतिष में अनुसन्धान की शिक्षा एवं उपाधि की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है |
२. पाठ्य–सामग्री – प्रत्येक विद्यार्थी को सभी आवश्यक पाठ्य सामग्री सीधे संस्था अथवा उसके उपकेन्द्र द्वारा दी जाएगी | इसके साथ आपको ज्योतिष पाठ्यक्रम में पंचांग, वास्तु पाठ्यक्रम में दिशा – सूचक यंत्र, हस्त रेखाशास्त्र पाठ्यक्रम में मैग्नीफाईंग ग्लास, तंत्र पाठ्यक्रम में लाल चन्दन का माला आदि निःशुल्क दिया जायेगा |
३. शुल्क भेजने का नियम – संस्था द्वारा संचालित प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में उसका पूर्ण शुल्क लिख दिया गया है |
जिसे निम्नलिखित साधनों से आप अपनी सुविधा अनुसार संस्थान को भेज सकते है –
१. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम ड्राफ्ट जो वाराणसी में देय हो |
२. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के निम्नलिखित बैंक अकाउंट में शुल्क जमा किया जा सकता है –
अपने नजदीकी भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया शाखा में खाता नं. ३३७९९७९८०४९ (क्लियरिंग चार्ज ५० रु.अलग से) में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
अपने नजदीकी आई. सी. आई. सी. आई. बैंक शाखा में खाता नं. ६२८३०५०१८१३८ में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानं के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
३. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम (Bhartiya Vaidic Jyotish Sansthanam) के नाम चेक जो वाराणसी में देय हो (चेक द्वारा शुल्क भेजने पर ५० रु.क्लियरिंग चार्ज अलग से देना होगा |)
४. मनीआर्डर द्वारा संस्थान के पते पर शुल्क भेज सकते है |
५. वी.पी.पी. माध्यम से भी आप कोर्स मैटेरियल के लिए आवेदन कर सकते है | (इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी फोन द्वारा संस्थान से प्राप्त की जा सकती है |)
६. नकद शुल्क संस्थान में आकर भी जमा किया जा सकता है |
शुल्क तथा आवेदन पत्र प्राप्त होने के बाद संस्था द्वारा सभी पाठ्यक्रम सामग्री छात्रों को रजिस्टर्ड डाक या कुरियर द्वारा भेज दि जाती है | पाठ्यक्रम में वर्णित शुल्क के अतिरिक्त किसी प्रकार का कोई अन्य शुल्क नही लिया जाता है |
विशेष – किसी प्रकार का भी शुल्क भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम वाराणसी के नाम ही स्वीकृत किया जायेगा |
४. भारत से बाहर के छात्रों के लिए – विदेशी छात्रों को डाक खर्च शुल्क अतिरिक्त देना होगा | पाठ्यक्रमों के शुल्क सम्बन्धी विशेष जानकारी संस्था से संपर्क करके प्राप्त किया जा सकता है |
५. प्रवेश सम्बन्धी नियम- संस्था द्वारा संचालित किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त करने के लिए संस्था द्वारा उपलब्ध आवेदन पत्र को भरकर पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क के साथ रजि.डाक, कोरियर द्वारा या व्यक्तिगत रूप से जमा करने पर सम्बंधित पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त हो जाता है |
६. परीक्षा विधि- प्रत्येक पाठ्यक्रम के अध्ययनकाल के समाप्ति के बाद संस्था द्वारा पाठ्यक्रम से सम्बंधित प्रश्न पत्र आपको भेजा जायेगा | जिसका उत्तर घर बैठे आप स्वयं लिखेगें | प्रश्न पत्र प्राप्ति के दिनांक से एक माह के अन्दर संस्था को रजिस्टर्ड द्वारा प्रश्न पत्र का उत्तर भेजना होता है | आपके उत्तर पत्र का मूल्यांकन एवं निरिक्षण करने का आधार आपकी विषयगत मौलिकता एवं विषय को स्पष्ट करने की शैली होती है| उत्तर पत्र प्राप्त होने के एक माह के अन्दर आपको तत सम्बंधित प्रमाण पत्र भेजकर सम्मानित किया जाता है | उच्चतम अंक प्राप्त करने वालों को संस्था द्वारा गोल्ड मैडल से सम्मानित किया जाता है| उत्तर पत्र के प्रत्येक पृष्ठ पर आपका हस्ताक्षर आवश्यक है | यह नियम पत्राचार पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों पर लागू होगा |
प्रथम श्रेणी – प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण छात्र को अंक पत्र में ए श्रेणी प्राप्त होगा |
द्रितीय श्रेणी – द्रितीय श्रेणी में उत्तीर्ण छात्र को बी श्रेणी प्राप्त होगा |
असफल छात्र – असफल छात्र को पुनः परीक्षा देना होगा | जिसके लिए परीक्षा शुल्क संस्थान में जमा करना होगा | विद्यार्थी को उसके विषयगत कमजोरी को दूर करने के लिए संस्थान के शिक्षक निःशुल्क प्रशिक्षण देंगे |
७. पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क – संस्थान के प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में पाठ्यक्रम का शिक्षण शुल्क लिखा हुआ है | जिसमे पंजीकरण शुल्क, प्रवेश शुल्क, वार्षिक पत्रिका शुल्क, परीक्षा शुल्क तथा दीक्षांत समारोह शुल्क आदि अनिवार्य शुल्क जुड़ा हुआ है |
८. आवश्यक वैधानिक नियम – १. किसी भी विवाद का न्यायक्षेत्र वाराणसी (उ०प्र०) होगा |
२. पाठ्यक्रम भेज देने के बाद पाठ्यक्रम का शुल्क वापस नही किया जाता है |
३. संस्थान से कोई भी सूचना प्राप्त करने के लिए डाक टिकट लगा लिफाफा भेजना होगा | व्यक्तिगत अथवा फोन से संपर्क करने का समय सायं ३ से ५ बजे तक है | गुरुवार को अवकाश रहता है \
नोट – संस्था के नाम पर किसी प्रकार का असंवैधानि कार्य दंडनीय अपराध माना जायेगा |
विशेष ध्यातव्य – संस्थान के खाते में जमा धनराशि का ही संस्थान उत्तरदायी होगा |
किसी प्रकार के संवैधानिक विवाद के निर्णय का अधिकार वाराणसी न्यायलय के आधीन होगा |
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