दैवज्ञ श्री पाठ्यक्रम के अंतर्गत फलित ज्योतिष के गूढ़ तत्वों का विवेचन है | इसकी महत्ता के सम्बन्ध में इतना कहा जा सकता है | कि फलित ज्योतिष में दैवज्ञ श्री पाठ्यक्रम सोने के अंगूठी में हीरे का नगीना जैसा है |
उसी प्रकार यह पाठ्यक्रम फलित ज्योतिष की गंभीरता और प्रमाणिकता को पुष्ट करता है| विद्वान ज्योतिषी के लिए स्फूर्त चेतना द्वारा फलादेश करने के लिए यह पाठ्यक्रम अति महत्वपूर्ण है | इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत आपको फलित ज्योतिष से सम्बंधित निम्नलिखित आधारभूत तथ्यों को पढाया जाता है |
प्रथम पाठ – भारतीय ज्योतिष के सिद्धांत, मानव जीवन और ज्योतिष, वाह्य व्यक्तित्व, भारतीय ज्योतिष का रहस्य, प्रश्न विचार, रोगी के अस्वस्थ होने का विचार, नक्षत्र अनुसार रोगी के रोग की अवधि का ज्ञान, शीघ्र मृत्यु रोग, चोर ज्ञान, प्रश्न लग्नानुसार, वर्गानुसार, नक्श्त्रनुसार और चोरी की वस्तु का ज्ञान, प्रवासी प्रश्न विचार, संतान सम्बन्धी, प्रश्न का विचार, लाभ – हानि प्रश्न विचार, वाद – विवाद या मुकदमे का प्रश्न विचार, भोजन सम्बन्धी, प्रश्न विचार, विवाह एवं जीवन सम्बन्धी विचार, मुष्टिका प्रश्न विचार केरलीय ज्योतिष मतानुसार प्रश्नों का विचार, कार्य सिद्धि की समय मर्यादा, तेज का विचार ईश्वरीय तेज, दैवी तेज, मानवी तेज, आसुरी तेज, पैशाचिक तेज, गुण धर्म और उसकी पहचान, प्रसिद्द व्यक्तियों का तेज विचार राशि ग्रहों का व्यक्ति के तेज से सम्बन्ध तथा भविष्य कथन में उसका प्रयोग, भाग्य क्या होता है? उसकी उत्पत्ति का विवरण, स्वयं के कर्म और संतति के कर्म किन ग्रहों के द्वारा संचालित होते है? उसकी आलोचना तथा परिशिष्ट |
द्रितीय पाठ – भाग्य का परिपाक कैसे होता है? भाग्य कितने प्रकार का होता है | भाग्य की दिशा न समझ पाने से फलित ज्योतिष में कैसे गलतियां होती है?
अनिष्ट योग, फलित ज्योतिषियों की स्वयं की कुंडलियों का विवेचन फलित बताने के विशिष्ट तथा गूढ़ विचार, फल कैसे और कब बतलाये और उसका सैद्धान्तिक पक्ष क्या हो, ग्रह योगों के कुछ ठोस और महत्वपूर्ण अनुभव, फलित के कुछ महत्वपूर्ण अनुभव, फलित के कुछ महत्वपूर्ण और अति अनुभवशील नियम, कुछ अपवाद स्वरुप कुण्डलियाँ, भाग्य के भोग का प्रथम साधन क्या है? भाग्य भोगने का द्रितीय साधन क्या है? कोई कुंडली शापित कब माना जाता है? कुंडलियों में वंशानुगत फल विचार, पराशर के अति महत्वपूर्ण फलित के १८ नियम, गोचर, फल एवं अष्टक वर्ग विचार (विस्तार से), दशा फल विचार के कुछ विशिष्ट नियम, ग्रहों के विशेष प्रभाव का काल, अष्टसूत्र, आयुष्य निर्णय, अल्पायु योग, मध्यम आयु योग, जैमिनी के मत से आयु विचार, स्पष्ट आयु साधन का नियम, ग्रह योगों से आयु विचार, आयु वृद्धि के लिए ग्रहों का विशिष्ट नियम तथा परिशिष्ट |
प्राप्त उपाधि – दैवज्ञ श्री, अध्ययन काल- 4 महिना
शिक्षा शुल्क – 45००/- रु. मात्र | इसके अतिरिक्त किसी प्रकार का अन्य कोई शुल्क देय नहीं है|
शैक्षणिक योग्यता- ज्योतिष विद्या विशारद अथवा इसके समतुल्य स्तर का ज्ञान आवश्यक है | विशेष – यह पाठ्यक्रम हिंदी एवं गुजराती भाषा में उपलब्ध है |
१. पाठ्यक्रम के सम्बन्ध में – संस्था द्वारा ज्योतिष के विभिन्न विभागों के शिक्षा का कार्यक्रम संचालित किया जाता है| जो शास्त्रों द्वारा अनुमोदित होते है| इसका अध्य्यापन पत्राचार/नियमित/online classes कक्षाओं के माध्यम से छात्रों को इस प्रकार से कराया जाता है कि उन्हें सरलता पूर्वक सम्बंधित विषय का ज्ञान घर बैठे प्राप्त हो सके| पाठ्यक्रम को समझने व अध्ययन में किसी भी आने वाली अडचनों को संस्था में कार्यरत विशेषज्ञ पत्र, फोन अथवा इन्टरनेट द्वारा तुरंत समाधान कर देते है | (यह सेवा निर्धारित नियम के अंतर्गत निः शुल्क होती है|) संस्था में शास्त्रीय स्तर/आचार्य स्तर तथा ज्योतिष में अनुसन्धान की शिक्षा एवं उपाधि की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है |
२. पाठ्य–सामग्री – प्रत्येक विद्यार्थी को सभी आवश्यक पाठ्य सामग्री सीधे संस्था अथवा उसके उपकेन्द्र द्वारा दी जाएगी | इसके साथ आपको ज्योतिष पाठ्यक्रम में पंचांग, वास्तु पाठ्यक्रम में दिशा – सूचक यंत्र, हस्त रेखाशास्त्र पाठ्यक्रम में मैग्नीफाईंग ग्लास, तंत्र पाठ्यक्रम में लाल चन्दन का माला आदि निःशुल्क दिया जायेगा |
३. शुल्क भेजने का नियम – संस्था द्वारा संचालित प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में उसका पूर्ण शुल्क लिख दिया गया है |
जिसे निम्नलिखित साधनों से आप अपनी सुविधा अनुसार संस्थान को भेज सकते है –
१- भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानं के upi no 9335480453 पर भेजा जा सकता है.
१. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम ड्राफ्ट जो वाराणसी में देय हो |
२. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के निम्नलिखित बैंक अकाउंट में शुल्क जमा किया जा सकता है –
अपने नजदीकी state bank of india में खाता नं. 55042871969 in the name of BHARTIYA VAIDIC JYOTISH SASNTHANAM PAYABEL AT VARANASI शुल्क जमा किया जा सकता है |
अपने नजदीकी ICICI BANK बैंक शाखा में खाता नं. 628305018138 in the name of BHARTIYA VAIDIC JYOTISH SASNTHANAM PAYABEL AT VARANASI, BRANCH NAME GODOWLIA शुल्क जमा किया जा सकता है |
३. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम (Bhartiya Vaidic Jyotish Sansthanam) के नाम चेक जो वाराणसी में देय हो (चेक द्वारा शुल्क भेजने पर ५० रु.क्लियरिंग चार्ज अलग से देना होगा |)
६. नकद शुल्क संस्थान में आकर भी जमा किया जा सकता है |
शुल्क तथा आवेदन पत्र प्राप्त होने के बाद संस्था द्वारा सभी पाठ्यक्रम सामग्री छात्रों को रजिस्टर्ड डाक या कुरियर द्वारा भेज दी जाती है | पाठ्यक्रम में वर्णित शुल्क के अतिरिक्त किसी प्रकार का कोई अन्य शुल्क नही लिया जाता है |
७-संसथान के ASTRO GANGE APPLICATION से भी किसी भी पाठ्यक्रम मे प्रवेश प्राप्त किया जा सकता हैl
किसी सी प्रकार का भी शुल्क भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम वाराणसी के नाम ही स्वीकृत किया जायेगा |
४. भारत से बाहर के छात्रों के लिए – विदेशी छात्रों को डाक खर्च शुल्क अतिरिक्त देना होगा | पाठ्यक्रमों के शुल्क सम्बन्धी विशेष जानकारी संस्था से संपर्क करके प्राप्त किया जा सकता है |
५. प्रवेश सम्बन्धी नियम- संस्था द्वारा संचालित किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त करने के लिए संस्था द्वारा उपलब्ध आवेदन पत्र को भरकर पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क के साथ रजि.डाक, कोरियर द्वारा या व्यक्तिगत रूप से जमा करने पर सम्बंधित पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त हो जाता है |
6- शिक्षण विधि
भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम कि ओर दो प्रकार से शिक्षा प्रदान किया जाता है..
प्रथम विधि- जिसमें संस्थान द्वारा संचालित सभी पाठ्यक्रमों से सम्बंधित पुस्तकें विद्यार्थी को निःशुल्क उपलब्ध करवाया जाता है. उनको किसी भी प्रकार के पुस्तकों कि आवश्यकता नहीं होती है. इस विधि में विद्यार्थी को संस्थान द्वारा उपलब्ध पाठ्य पुस्तकों को पढ़ने के पश्चात् कोई भी प्रश्न/संदेह का निवारण संस्थान में उपलब्ध तत्कालीन विद्वानों द्वारा फ़ोन कॉल के माध्यम से किया जाता है ये सुविधा संस्थान द्वारा निःशुल्क प्रदान कि जाएगी.
द्वितीय विधि- इस विधि में विद्यार्थी को संस्थान द्वारा उपलब्ध पाठ्य पुस्तकों को पढ़ने के पश्चात् कोई भी प्रश्न/संदेह का निवारण संस्थान में उपलब्ध तत्कालीन विद्वानों द्वारा विडियो कॉल के माध्यम से किया जाता है ये सुविधा संस्थान द्वारा सशुल्क प्रदान किया जाता है.
७- परीक्षा विधि- प्रत्येक पाठ्यक्रम के अध्ययनकाल के समाप्ति के बाद संस्था द्वारा पाठ्यक्रम से सम्बंधित प्रश्न पत्र आपको भेजा जायेगा | जिसका उत्तर घर बैठे आप स्वयं लिखेगें | प्रश्न पत्र प्राप्ति के दिनांक से एक माह के अन्दर संस्था को रजिस्टर्ड डाक/कूरियर द्वारा प्रश्न पत्र का उत्तर भेजना होता है | आपके उत्तर पत्र का मूल्यांकन एवं निरिक्षण करने का आधार आपकी विषयगत मौलिकता एवं विषय को स्पष्ट करने की शैली होती है| उत्तर पत्र प्राप्त होने के एक माह के अन्दर आपको तत सम्बंधित प्रमाण पत्र भेजकर सम्मानित किया जाता है | उच्चतम अंक प्राप्त करने वालों को संस्था द्वारा गोल्ड मैडल से सम्मानित किया जाता है| उत्तर पत्र के प्रत्येक पृष्ठ पर आपका हस्ताक्षर आवश्यक है | यह नियम पत्राचार पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों पर लागू होगा |
प्रथम श्रेणी -प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण छात्र को अंक पत्र में ए श्रेणी प्राप्त होगा
द्रितीय श्रेणी - द्रितीय श्रेणी में उत्तीर्ण छात्र को बी श्रेणी प्राप्त होगा |
असफल छात्र – असफल छात्र को पुनः परीक्षा देना होगा | जिसके लिए परीक्षा शुल्क संस्थान में जमा करना होगा | विद्यार्थी को उसके विषयगत कमजोरी को दूर करने के लिए संस्थान के शिक्षक निःशुल्क प्रशिक्षण देंगे |
८.पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क – संस्थान के प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में पाठ्यक्रम का शिक्षण शुल्क लिखा हुआ है | जिसमे पंजीकरण शुल्क, प्रवेश शुल्क, वार्षिक पत्रिका शुल्क, परीक्षा शुल्क तथा दीक्षांत समारोह शुल्क आदि अनिवार्य शुल्क जुड़ा हुआ है |
९. आवश्यक वैधानिक नियम – १. किसी भी विवाद का न्यायक्षेत्र वाराणसी (उ०प्र०) होगा |
२. पाठ्यक्रम भेज देने के बाद पाठ्यक्रम का शुल्क वापस नही किया जाता है |
३. संस्थान से कोई भी सूचना प्राप्त करने के लिए डाक टिकट लगा लिफाफा भेजना होगा | व्यक्तिगत अथवा फोन से संपर्क करने का समय सायं ३ से ५ बजे तक है | गुरुवार को अवकाश रहता है l
नोट – संस्था के नाम पर किसी प्रकार का असंवैधानि कार्य दंडनीय अपराध माना जायेगा |
विशेष ध्यातव्य – संस्थान के खाते में जमा धनराशि का ही संस्थान उत्तरदायी होगा |
किसी प्रकार के संवैधानिक विवाद के निर्णय का अधिकार वाराणसी न्यायलय के आधीन होगा |
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