ज्योतिष प्रज्ञाचार्य (acharya level)
Max Price :₹ 15000
Price : ₹ 6000

ज्योतिष प्रज्ञाचार्य (acharya level)

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ज्योतिष के समग्र विभागों के अध्ययन का यह व्यावसायिक स्तर पर अत्यंत उपयोगी यह स्नाकोत्तरिय पाठ्यक्रम है | ज्योतिष के सम्यक ज्ञान के लिए यह पाठ्यक्रम अति उपयोगी सिद्ध हुआ है |जिसके अंतर्गत ज्योतिष के सभी विभागों से सम्बंधित पाठ्यक्रमों का समायोजन किया गया है| ज्योतिषीय फलादेश के सिद्धांत, ग्रह दोष निवारण, वास्तु शास्त्र का समाधान, हस्त रेखा, शास्त्र का फलित ज्ञान, तंत्र शास्त्र का प्रायोगिक ज्ञान आदि सबके शिक्षा का इस प्रकार प्रबंधन किया गया है कि, जातक को ज्योतिषीय विज्ञान द्वारा पूर्ण संतुष्टि प्रदान किया जा सके| 

इस प्रकार इस आचार्य स्तर के पाठ्यक्रम को छ: भागों में बांटकर अध्ययन प्रस्तुत किया गया है –

प्रथम पाठ (फलित ज्योतिष) – फलित ज्योतिष के मुख्य सूत्र, रामानुजाचार्य एवं पराशर द्वारा प्रणित फलित सूत्र, स्त्री जातक के फलादेश के मुख्या सूत्र, नक्षत्रों द्वारा फलित ज्ञान का सूत्र, षड्वर्गो के फलित का गूढ़ रहस्य, तिथि वार, नक्षत्र एवं योग पंचांग द्वारा फलित का नियम महादशा की वैज्ञानिकता तथा फलित सिद्धांत मेषादी लग्नों के अनुभूत सूत्र, विशिष्ट योगों के सूत्र, दैनिक प्रयोग की सरणी |

द्रितीय पाठ (प्रश्न विचार)- प्रश्नों द्वारा फलादेश करने का नियम, जातक के प्रश्न पूछने पर उसके लाभ हानि, यात्रा, शुभाशुभ, जय – पराजय, शत्रु रोग, चोरी, वर्षा, विवाह, संतान, गर्भ, मानसिक, प्रश्न आदि | अन्य विविध प्रश्नों के फलादेश करने का सूत्र | केरलीय ज्योतिष से प्रश्न विचार |

तृतीय पाठ (ग्रह दोष निवारण) – नौ ग्रहों की उपासना विधि, लग्नानुसार ग्रह पूजन विधान, तांत्रिक विधि से ग्रह शांति विधान, अशुभ ग्रहों के दोष शांति के लिए रत्न निर्धारण करने की विधि, रत्नों की प्राण प्रतिष्ठा एवं उसके धारण करने का सम्पूर्ण विधान, ग्रहों का अनिष्ट फल का परिचय, भावानुसार अनिष्ट ग्रहों की शांति के उपाय, लाल किताब के अनुसार ग्रह दोष निवारण के टोटके |

चतुर्थ पाठ ( वास्तु शास्त्र )- वास्तु शास्त्र का नैसर्गिक आधार तथा उसके आधारभूत सिद्धांत, सत्व – रजस – तमस शक्तियां, अदृस्य प्राणिक शक्तियों का परिचय, पंच महाभूत की व्याख्या, सूर्य सिद्धांत, सुख प्रदायक भवन निर्माण के सूत्र, दिशा फल, आंतरिक निर्माण की रुपरेखा तथा आवश्यक निर्देश, वास्तु में ज्योतिष का अधिकार, आधुनिक वास्तुशाश्त्र सिद्धांत के नकारात्मक पक्ष, वास्तु दोष के प्रकार, अशुभात्मक तथा नकारात्मक ऊर्जा का शमन, अग्निहोत्र, बिना तोड़ – फोड़ के वास्तु दोष का निवारण, वास्तु वेध, मुख्य दिशाओं से विचलित, वास्तु का फल, बाधित वास्तु, राजकीय संकटों से कैसे बचें? वास्तु दोष से उत्पन्न बीमारी, वास्तु दोष शमन के आधुनिक उपाय, सुखी जीवन के लिए वास्तु के १०१ सूत्र |

पंचम पाठ (हस्त रेखा) – हस्त परिक्षण, स्वस्थ हाथ, ग्रह तथा अँगुलियों के महत्वपूर्ण सूत्र, विभिन्न रेखाओं के महत्वपूर्ण फल, वृहत त्रिकोण, चतुष्कोण आदि चिन्हों का फलादेश, दुर्घटना, सूचक रेखाएं, प्राचीन भारतीय हस्त सामुद्रिक शास्त्र, जातक के हव – भाव द्वारा फलादेश, हस्त रेखा शास्त्र में ज्योतिष का अधिकार, रेखाओं से समय ज्ञान, अन्य प्रभावोत्पादक रेखाओं का फल |

षष्ठ पाठ (तंत्रशास्त्र का प्रायोगिक ज्ञान)- तंत्र साधना के स्वरुप, मुख्य विचारणीय बातें, तांत्रिक क्रिया में प्रयुक्त उपकरण, प्राण प्रतिष्ठा एवं षोडशोपचार पूजन विधि, यन्त्र लेखन और प्रयोग की विधि, विभन्न यंत्रों का सम्पूर्ण प्रयोग विधान – जैसे –कनकधारा, कर्ज नाशक एवं दाम्पत्य सुख करक यन्त्र, नवग्रह यंत्र, वर प्राप्ति यन्त्र, पुत्र प्राप्ति यन्त्र, वंध्या दोष निवृति यंत्र, स्त्री एवं पुरुष वशीकरण यंत्र, भूत बाधा निवृति यंत्र, सर्व रोग नाशक यंत्र, भूमि लाभ यंत्र, इष्ट सिद्धि यंत्र, सर्वकार्य सिद्धि यंत्र, बलारिष्ट निवारण यंत्र तथा भय नाशक यंत्र का विस्तृत विवरण |

प्राप्त उपाधि – ज्योतिष प्रज्ञाचार्य
अध्ययन कल – ६ महिना
शिक्षा शुल्क – 6000rs. मात्र इसके अतिरिक्त किसी प्रकार का अन्य शुल्क देय नहीं है |

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नियमावली

१. पाठ्यक्रम के सम्बन्ध में – संस्था द्वारा ज्योतिष के विभिन्न विभागों के शिक्षा का कार्यक्रम संचालित किया जाता है | जो शास्त्रों द्वारा अनुमोदित होते है | इसका अध्ययन पत्राचार माध्यम से छात्रों को इस प्रकार से कराया जाता है कि उन्हें सरलता पूर्वक सम्बंधित विषय का ज्ञान घर बैठे प्राप्त हो सके | पाठ्यक्रम को समझने व अध्ययन में किसी भी आने वाली अडचनों को संस्था में कार्यरत विशेषज्ञ पत्र, फोन अथवा इन्टरनेट द्वारा तुरंत समाधान कर देते है | (यह सेवा निःशुल्क होती है|) संस्था में शास्त्रीय स्तर आचार्य स्तर तथा ज्योतिष में अनुसन्धान की शिक्षा एवं उपाधि की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है |

२. पाठ्य–सामग्री – प्रत्येक विद्यार्थी को सभी आवश्यक पाठ्य सामग्री सीधे संस्था अथवा उसके उपकेन्द्र द्वारा दी जाएगी | इसके साथ आपको ज्योतिष पाठ्यक्रम में पंचांग, वास्तु पाठ्यक्रम में दिशा – सूचक यंत्र, हस्त रेखाशास्त्र पाठ्यक्रम में मैग्नीफाईंग ग्लास, तंत्र पाठ्यक्रम में लाल चन्दन का माला आदि निःशुल्क दिया जायेगा |

३. शुल्क भेजने का नियम – संस्था द्वारा संचालित प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में उसका पूर्ण शुल्क लिख दिया गया है |
जिसे निम्नलिखित साधनों से आप अपनी सुविधा अनुसार संस्थान को भेज सकते है –
१. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम ड्राफ्ट जो वाराणसी में देय हो |
२. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के निम्नलिखित बैंक अकाउंट में शुल्क जमा किया जा सकता है –
अपने नजदीकी भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया शाखा में खाता नं. ३३७९९७९८०४९ (क्लियरिंग चार्ज ५० रु.अलग से) में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
अपने नजदीकी आई. सी. आई. सी. आई. बैंक शाखा में खाता नं. ६२८३०५०१८१३८ में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानं के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
३. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम (Bhartiya Vaidic Jyotish Sansthanam) के नाम चेक जो वाराणसी में देय हो (चेक द्वारा शुल्क भेजने पर ५० रु.क्लियरिंग चार्ज अलग से देना होगा |)
४. मनीआर्डर द्वारा संस्थान के पते पर शुल्क भेज सकते है |
५. वी.पी.पी. माध्यम से भी आप कोर्स मैटेरियल के लिए आवेदन कर सकते है | (इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी फोन द्वारा संस्थान से प्राप्त की जा सकती है |)
६. नकद शुल्क संस्थान में आकर भी जमा किया जा सकता है |
शुल्क तथा आवेदन पत्र प्राप्त होने के बाद संस्था द्वारा सभी पाठ्यक्रम सामग्री छात्रों को रजिस्टर्ड डाक या कुरियर द्वारा भेज दि जाती है | पाठ्यक्रम में वर्णित शुल्क के अतिरिक्त किसी प्रकार का कोई अन्य शुल्क नही लिया जाता है |
विशेष – किसी प्रकार का भी शुल्क भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम वाराणसी के नाम ही स्वीकृत किया जायेगा |
४. भारत से बाहर के छात्रों के लिए – विदेशी छात्रों को डाक खर्च शुल्क अतिरिक्त देना होगा | पाठ्यक्रमों के शुल्क सम्बन्धी विशेष जानकारी संस्था से संपर्क करके प्राप्त किया जा सकता है |
५. प्रवेश सम्बन्धी नियम- संस्था द्वारा संचालित किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त करने के लिए संस्था द्वारा उपलब्ध आवेदन पत्र को भरकर पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क के साथ रजि.डाक, कोरियर द्वारा या व्यक्तिगत रूप से जमा करने पर सम्बंधित पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त हो जाता है |
६. परीक्षा विधि- प्रत्येक पाठ्यक्रम के अध्ययनकाल के समाप्ति के बाद संस्था द्वारा पाठ्यक्रम से सम्बंधित प्रश्न पत्र आपको भेजा जायेगा | जिसका उत्तर घर बैठे आप स्वयं लिखेगें | प्रश्न पत्र प्राप्ति के दिनांक से एक माह के अन्दर संस्था को रजिस्टर्ड द्वारा प्रश्न पत्र का उत्तर भेजना होता है | आपके उत्तर पत्र का मूल्यांकन एवं निरिक्षण करने का आधार आपकी विषयगत मौलिकता एवं विषय को स्पष्ट करने की शैली होती है| उत्तर पत्र प्राप्त होने के एक माह के अन्दर आपको तत सम्बंधित प्रमाण पत्र भेजकर सम्मानित किया जाता है | उच्चतम अंक प्राप्त करने वालों को संस्था द्वारा गोल्ड मैडल से सम्मानित किया जाता है| उत्तर पत्र के प्रत्येक पृष्ठ पर आपका हस्ताक्षर आवश्यक है | यह नियम पत्राचार पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों पर लागू होगा |

प्रथम श्रेणी – प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण छात्र को अंक पत्र में ए श्रेणी प्राप्त होगा |
द्रितीय श्रेणी – द्रितीय श्रेणी में उत्तीर्ण छात्र को बी श्रेणी प्राप्त होगा |
असफल छात्र – असफल छात्र को पुनः परीक्षा देना होगा | जिसके लिए परीक्षा शुल्क संस्थान में जमा करना होगा | विद्यार्थी को उसके विषयगत कमजोरी को दूर करने के लिए संस्थान के शिक्षक निःशुल्क प्रशिक्षण देंगे |
७. पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क – संस्थान के प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में पाठ्यक्रम का शिक्षण शुल्क लिखा हुआ है | जिसमे पंजीकरण शुल्क, प्रवेश शुल्क, वार्षिक पत्रिका शुल्क, परीक्षा शुल्क तथा दीक्षांत समारोह शुल्क आदि अनिवार्य शुल्क जुड़ा हुआ है |
८. आवश्यक वैधानिक नियम – १. किसी भी विवाद का न्यायक्षेत्र वाराणसी (उ०प्र०) होगा |
२. पाठ्यक्रम भेज देने के बाद पाठ्यक्रम का शुल्क वापस नही किया जाता है |
३. संस्थान से कोई भी सूचना प्राप्त करने के लिए डाक टिकट लगा लिफाफा भेजना होगा | व्यक्तिगत अथवा फोन से संपर्क करने का समय सायं ३ से ५ बजे तक है | गुरुवार को अवकाश रहता है \
नोट – संस्था के नाम पर किसी प्रकार का असंवैधानि कार्य दंडनीय अपराध माना जायेगा |
विशेष ध्यातव्य – संस्थान के खाते में जमा धनराशि का ही संस्थान उत्तरदायी होगा |
किसी प्रकार के संवैधानिक विवाद के निर्णय का अधिकार वाराणसी न्यायलय के आधीन होगा |

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