हमारे शारीर एवं मन में उत्पन्न होने वाले विकार, जिनसे हमें किसी भी प्रकार का दुःख मिलता है, को रोग कहते है| विविध ग्रह स्थितियों का प्राणी मात्र के शारीरिक एवं मानसिक क्रियाओं के साथ अभिन्न सम्बन्ध होता हैं |जिसका आधार हमारा संचित, प्रारब्ध एवं क्रियमाण कर्मफल हैं | ज्योतिष धनवंतरी पाठ्यक्रम के अंतर्गत ज्योतिष द्वारा रोगों के निदान एवं चिकित्सा का ज्ञान उपलब्ध कराया गया हैं
इसको चार पाठों में विभाजित क्र इसका अध्ययन प्रस्तुत किया गया हैं |
प्रथम पाठ –शारीरिक रोग के आलोक में ज्योतिष के मुख्य सिद्धांतों का परिचय, ग्रहों का मानव जीवन पर प्रभाव को जानने का साधन, रोगों के कारक ग्रह ज्योतिष एवं कर्म सिद्धांत, ज्योतिष एवं आयुर्वेद, मानव की शारीर रचना का परिचय, चित्रों के द्वारा शारीरक अंगों की कार्यप्रणाली का परिज्ञान, रोग उत्पत्ति के कारण, ग्रहों द्वारा रोग विचार के प्रसंग में राशि एवं भावों का परिचय, ग्रहों का वाह्य एवं आंतरिक अंगों पर प्रभाव, रोग विचार के प्रसंग में नक्षत्रों का अधिकार, शारीरिक अंग विभाग के अनुसार रोग, परिचय रोग लक्षण और करक ग्रह |
द्रितीय पाठ – ज्योतिष में रोग परिज्ञान का प्रमुख सिद्धांत, रोगों का वर्गीकरण, सहज रोग, दृष्ट निमित जन्म शारीरिक रोगों का विचार, विभिन्न प्रकार के रोग एवं उनका ज्योतिष निदान, ग्रह सम्बन्ध, सिर के रोग, कंठ के रोग, छाती के रोग, नेत्र के रोग, नासिका, ह्रदय, फेफड़ा के रोग,पेट के रोग, स्नानुयों के रोग, तपेदिक रोग, कैंसर, गुर्दा आदि विभिन्न रोगों के होने का ज्योतिषीय कारण |
तृतीय पाठ – मानसिक रोग, उन्माद, अपस्मार, मिर्गी, बुद्धिहीन्तादी, विभिन्न प्रकार के मनोविकार जनित रोगों का अध्ययन, विभिन्न रोगों के उत्पत्ति का संभावित समय, महादशा, जन्म काल, चन्द्र कुंडली, प्रत्यंतर दशा, प्राण दशा तथा सूक्ष्म दशा से रोगों का ज्ञान, विविध महादशा में उत्पन्न होने वाले रोग, प्रश्न्कालिनग्रह स्तिथि द्वारा रोगारम्भ काल का ज्ञान, रोग कब होगा, गोचर के द्वारा ज्ञान |
चतुर्थ पाठ – साध्य एवं असाध्य रोगों, रोगी की आयु साधन, अरिष्ट योग, अल्पायु योग, दीर्घायु योग, अमितायु योग, निसर्गायु योग, पिंड आयु योग आदि का स्पस्ट विवरण | मृत्यु दायक दशा और अन्तर्दशा, रोगों के मृतुकालीन निर्णय के कुछ महत्वपूर्ण तथ्य, मृत्यु के विभिन्न योग |रोगों की मृत्यु कितने दिनों में होगी | रोगी के स्वस्थ्य होने का योग, औषधि से लाभ होगा की नहीं रोगी कब ठीक होगा?
रोग निवृत्ति के ज्योतिषीय विधान, ग्रह चिकित्सा विधान, रत्नों द्वारा रोगों की चिकित्सा, मंत्रानुष्ठान-ग्रह –पूजा – हवन –दान- स्त्रोतादी का पाठ |रोग निवृत्ति के लिए ग्रह औषधिय स्नान तथा यंत्र पूजा विधान |
प्राप्त उपाधि – ज्योतिष धनवंतरी | अध्ययन काल – ४ महीना|
शिक्षा शुल्क – ४५००/- मात्र |इसके अतिरिक्त किसी प्रकार का अन्य शुल्क देय नहीं हैं | ( शुल्क सम्बन्धी अन्य विस्तृत जानकारी के लिए पेज न०. -२९ पर देखें )
शैक्षिक योग्यता – ज्योतिष विद्या विशारद स्तर का या उसके समतुल्य ज्ञान आवश्यक हैं |
१. पाठ्यक्रम के सम्बन्ध में – संस्था द्वारा ज्योतिष के विभिन्न विभागों के शिक्षा का कार्यक्रम संचालित किया जाता है | जो शास्त्रों द्वारा अनुमोदित होते है | इसका अध्ययन पत्राचार माध्यम से छात्रों को इस प्रकार से कराया जाता है कि उन्हें सरलता पूर्वक सम्बंधित विषय का ज्ञान घर बैठे प्राप्त हो सके | पाठ्यक्रम को समझने व अध्ययन में किसी भी आने वाली अडचनों को संस्था में कार्यरत विशेषज्ञ पत्र, फोन अथवा इन्टरनेट द्वारा तुरंत समाधान कर देते है | (यह सेवा निःशुल्क होती है|) संस्था में शास्त्रीय स्तर आचार्य स्तर तथा ज्योतिष में अनुसन्धान की शिक्षा एवं उपाधि की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है |
२. पाठ्य–सामग्री – प्रत्येक विद्यार्थी को सभी आवश्यक पाठ्य सामग्री सीधे संस्था अथवा उसके उपकेन्द्र द्वारा दी जाएगी | इसके साथ आपको ज्योतिष पाठ्यक्रम में पंचांग, वास्तु पाठ्यक्रम में दिशा – सूचक यंत्र, हस्त रेखाशास्त्र पाठ्यक्रम में मैग्नीफाईंग ग्लास, तंत्र पाठ्यक्रम में लाल चन्दन का माला आदि निःशुल्क दिया जायेगा |
३. शुल्क भेजने का नियम – संस्था द्वारा संचालित प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में उसका पूर्ण शुल्क लिख दिया गया है |
जिसे निम्नलिखित साधनों से आप अपनी सुविधा अनुसार संस्थान को भेज सकते है –
१. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम ड्राफ्ट जो वाराणसी में देय हो |
२. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के निम्नलिखित बैंक अकाउंट में शुल्क जमा किया जा सकता है –
अपने नजदीकी भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया शाखा में खाता नं. ३३७९९७९८०४९ (क्लियरिंग चार्ज ५० रु.अलग से) में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
अपने नजदीकी आई. सी. आई. सी. आई. बैंक शाखा में खाता नं. ६२८३०५०१८१३८ में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानं के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
३. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम (Bhartiya Vaidic Jyotish Sansthanam) के नाम चेक जो वाराणसी में देय हो (चेक द्वारा शुल्क भेजने पर ५० रु.क्लियरिंग चार्ज अलग से देना होगा |)
४. मनीआर्डर द्वारा संस्थान के पते पर शुल्क भेज सकते है |
५. वी.पी.पी. माध्यम से भी आप कोर्स मैटेरियल के लिए आवेदन कर सकते है | (इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी फोन द्वारा संस्थान से प्राप्त की जा सकती है |)
६. नकद शुल्क संस्थान में आकर भी जमा किया जा सकता है |
शुल्क तथा आवेदन पत्र प्राप्त होने के बाद संस्था द्वारा सभी पाठ्यक्रम सामग्री छात्रों को रजिस्टर्ड डाक या कुरियर द्वारा भेज दि जाती है | पाठ्यक्रम में वर्णित शुल्क के अतिरिक्त किसी प्रकार का कोई अन्य शुल्क नही लिया जाता है |
विशेष – किसी प्रकार का भी शुल्क भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम वाराणसी के नाम ही स्वीकृत किया जायेगा |
४. भारत से बाहर के छात्रों के लिए – विदेशी छात्रों को डाक खर्च शुल्क अतिरिक्त देना होगा | पाठ्यक्रमों के शुल्क सम्बन्धी विशेष जानकारी संस्था से संपर्क करके प्राप्त किया जा सकता है |
५. प्रवेश सम्बन्धी नियम- संस्था द्वारा संचालित किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त करने के लिए संस्था द्वारा उपलब्ध आवेदन पत्र को भरकर पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क के साथ रजि.डाक, कोरियर द्वारा या व्यक्तिगत रूप से जमा करने पर सम्बंधित पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त हो जाता है |
६. परीक्षा विधि- प्रत्येक पाठ्यक्रम के अध्ययनकाल के समाप्ति के बाद संस्था द्वारा पाठ्यक्रम से सम्बंधित प्रश्न पत्र आपको भेजा जायेगा | जिसका उत्तर घर बैठे आप स्वयं लिखेगें | प्रश्न पत्र प्राप्ति के दिनांक से एक माह के अन्दर संस्था को रजिस्टर्ड द्वारा प्रश्न पत्र का उत्तर भेजना होता है | आपके उत्तर पत्र का मूल्यांकन एवं निरिक्षण करने का आधार आपकी विषयगत मौलिकता एवं विषय को स्पष्ट करने की शैली होती है| उत्तर पत्र प्राप्त होने के एक माह के अन्दर आपको तत सम्बंधित प्रमाण पत्र भेजकर सम्मानित किया जाता है | उच्चतम अंक प्राप्त करने वालों को संस्था द्वारा गोल्ड मैडल से सम्मानित किया जाता है| उत्तर पत्र के प्रत्येक पृष्ठ पर आपका हस्ताक्षर आवश्यक है | यह नियम पत्राचार पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों पर लागू होगा |
प्रथम श्रेणी – प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण छात्र को अंक पत्र में ए श्रेणी प्राप्त होगा |
द्रितीय श्रेणी – द्रितीय श्रेणी में उत्तीर्ण छात्र को बी श्रेणी प्राप्त होगा |
असफल छात्र – असफल छात्र को पुनः परीक्षा देना होगा | जिसके लिए परीक्षा शुल्क संस्थान में जमा करना होगा | विद्यार्थी को उसके विषयगत कमजोरी को दूर करने के लिए संस्थान के शिक्षक निःशुल्क प्रशिक्षण देंगे |
७. पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क – संस्थान के प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में पाठ्यक्रम का शिक्षण शुल्क लिखा हुआ है | जिसमे पंजीकरण शुल्क, प्रवेश शुल्क, वार्षिक पत्रिका शुल्क, परीक्षा शुल्क तथा दीक्षांत समारोह शुल्क आदि अनिवार्य शुल्क जुड़ा हुआ है |
८. आवश्यक वैधानिक नियम – १. किसी भी विवाद का न्यायक्षेत्र वाराणसी (उ०प्र०) होगा |
२. पाठ्यक्रम भेज देने के बाद पाठ्यक्रम का शुल्क वापस नही किया जाता है |
३. संस्थान से कोई भी सूचना प्राप्त करने के लिए डाक टिकट लगा लिफाफा भेजना होगा | व्यक्तिगत अथवा फोन से संपर्क करने का समय सायं ३ से ५ बजे तक है | गुरुवार को अवकाश रहता है \
नोट – संस्था के नाम पर किसी प्रकार का असंवैधानि कार्य दंडनीय अपराध माना जायेगा |
विशेष ध्यातव्य – संस्थान के खाते में जमा धनराशि का ही संस्थान उत्तरदायी होगा |
किसी प्रकार के संवैधानिक विवाद के निर्णय का अधिकार वाराणसी न्यायलय के आधीन होगा |
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