तंत्र का स्नातकोत्तर स्तरीय पाठ्यक्रम है | इसमें दैहिक, भौतिक, दैविक तापों से मुक्ति तथा पराविद्या और अपराविद्या दोनों की उच्च स्तर की शिक्षा का प्रावधान है | तंत्र शास्त्र या आगम शास्त्र साधना का शास्त्र है | जिसके अग्रणीय ग्रन्थ रुद्रयामल तंत्र, दत्तात्रेय, तंत्र तथा शंकराचार्य द्वारा प्रणित सौन्दर्य लहरी तंत्र प्रमुख है | जो छात्र तंत्र भूषण पाठ्यक्रम या इसके समकक्ष की योग्यता रखते हों | उन्हीं को इसमें प्रवेश लेना लाभकारी होगा | इस पाठ्यक्रम के अंतर्गत तंत्र शास्त्र के समग्र विभागों की शिक्षा को चार पाठों में अध्ययन की व्यवस्था प्रस्तुत की गयी हैं |
प्रथम पाठ – तंत्र शास्त्र के आरंभिक तत्व, यंत्र, मन्त्र, तंत्र,परिचय, यंत्र क्या है? उनके प्रकार यन्त्र और उनके फल, यंत्र लेखन की विधि, अंक, यंत्रों की रचना, प्रत्येक अंकों के आधिकारी देवता, यन्त्र निर्माण के विभिन्न आधार, यन्त्र लेखन में दिशा काल आदि का विचार, यंत्र लेखन की वस्तुएं और सावधानियाँ, यंत्रों के अंग और पुरचरण, हवन करने की विधि, तर्पण, मार्जन और ब्राह्मण भोजन, यंत्र धारण विधि, मन्त्र साधना के आरंभिक तत्व, वर्णों के शक्तिस्वरूप और उनके प्रभाव ध्यान, विनियोग, ऋष्यादिन्यास, करन्यास, मन्त्रों की आत्मा स्वरुप तथा सामर्थ्य, अन्तश्चेतना, आसन तथा उसके प्रकार शुन्यचक्र आधार चक्र, मूलाधार चक्र स्वाधिष्ठान चक्र, सूर्यचक्र, अनाहत चक्र, आज्ञाचक्र |
द्रितीय पाठ - तांत्रिक प्रक्रिया के मुख्य बिंदु, तंत्र साधना की आवश्यकता, तंत्र का प्रयोगात्मक स्वरुप, पटल, पद्धति, कवच, सहस्त्रनाम स्त्रोत, तंत्र साधना के पूर्व विचारणीय, तंत्र साधना में उपयोगी तत्व, तांत्रिक क्रिया में प्रयुक्त उपकरण, प्राण प्रतिष्ठा, षोडशोपचार पूजन विधि, हवन विधि, मन्त्र साधना के आधारभूत तत्व, अष्टांग योग,आसन मुद्रा, मूलबद्ध, जालंधर बन्ध, महाबन्ध, प्राणायाम, धारण इत्यादि समाधि, अन्तश्चेतना जागरण साधना के अंग, साधकों के कृत्य, संध्या विधि, माला संस्कार, शक्ति अनुष्ठान जप |
तृतीय पाठ – मन्त्र प्रखंड, मन्त्र सिद्धि, दीक्षा, भुत शंद्धि, मन्त्र महिमा, मन्त्रों के देवता मन्त्र, मन्त्र संज्ञा, मन्त्र प्रयोग, मन्त्र भेद, हवन प्रयोग, षट कार्यो में आसन प्रयोग, मन्त्रों का अनुष्ठान, मानस जप, मन्त्र साधना की गोपनीयता, मन्त्र साधना, ज्योतिष परिप्रेक्ष्य में शुभ समय का ज्ञान, सिद्धियाँ, गौड़ सिद्धियाँ, क्षुद्र सिद्धियाँ, शक्तिपात, कुलार्णव तंत्र में दीक्षा के प्रकार, मन्त्रों के संस्कार, दसमहाविद्या, राशि चक्र, अकड़म चक्र, परश्चरण चक्र, कुलाकुल चक्र, शारीर चक्र, नक्षत्र चक्र, अष्टम चक्र, ऋणी धनी चक्र, मास, पक्ष, तिथि वार, नक्षत्र, योग करण, लग्न, मन्त्र स्थान, आसन, मन्त्र भेद, मन्त्रों के दोष, कुर्म चक्र, मंत्र जप के अंग, पुरचरण में आवश्यक निर्देश, तांत्रिक उपासना का मंगल प्रस्थान, श्री गुरु उपासना, गुरु उपासना के प्रकार, गुरु यंत्र और पूजा विधान, गुरु पादुका मन्त्र, चतु:ष्टि, भैरव नामावली, अष्टोत्तर शत भैरव नामावली, बटुक भैरव का विधान, रुद्रयमलोवत, श्री स्वर्ण आकर्षण, भैरव साधना स्त्रोत, दुर्गासप्तशती और उसके महत्वपूर्ण प्रयोग, चरित्रत्रय की १६० शक्तियां और श्री यंत्र पूजा, नवार्ण मन्त्र, उपांग, योजना , सार्धनव चंडी पाठ, शांति दुर्गा आदि नौ दुर्गाओं के मंत्र विधान, इन्द्राक्षी दुर्गा का अपूर्व प्रयोग, कुमारी पूजन, सर्वोपयोगी मन्त्र, स्त्रोतादी संग्रह, संतान कामेश्वरी प्रयोग, बुद्धि बढ़ाने का उपाय, मारण, मोहन, स्तम्भन, द्वेषण, उच्चाटन, वशीकरण, आकर्षण प्रयोग, दक्षिणी साधना, कनक धरा यंत्र प्रयोग, कर्जनाशक, दाम्पत्य सुख करक प्रयोग, बंध्यादोष निवृत्ति यंत्र, स्त्री वशीकरण, भुत बाधा निवृत्ति, सर्वरोगनाशक यंत्र, भूमि लाभ एकल कार्य सिद्धि यंत्र, बालरिष्ठ नाशक यंत्र |
प्राप्त उपाधि – तन्त्रकलानिधि | अध्ययन काल – ४ महिना|
शिक्षा शुल्क – 6400रु. मात्र | इसके अतिरिक्त किसी प्रकार का शुल्क देय नहीं है |
शैक्षणिक योग्यता – तंत्र भूषण या समतुल्य का ज्ञान आवश्यक है |
१. पाठ्यक्रम के सम्बन्ध में – संस्था द्वारा ज्योतिष के विभिन्न विभागों के शिक्षा का कार्यक्रम संचालित किया जाता है | जो शास्त्रों द्वारा अनुमोदित होते है | इसका अध्ययन पत्राचार माध्यम से छात्रों को इस प्रकार से कराया जाता है कि उन्हें सरलता पूर्वक सम्बंधित विषय का ज्ञान घर बैठे प्राप्त हो सके | पाठ्यक्रम को समझने व अध्ययन में किसी भी आने वाली अडचनों को संस्था में कार्यरत विशेषज्ञ पत्र, फोन अथवा इन्टरनेट द्वारा तुरंत समाधान कर देते है | (यह सेवा निःशुल्क होती है|) संस्था में शास्त्रीय स्तर आचार्य स्तर तथा ज्योतिष में अनुसन्धान की शिक्षा एवं उपाधि की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है |
२. पाठ्य–सामग्री – प्रत्येक विद्यार्थी को सभी आवश्यक पाठ्य सामग्री सीधे संस्था अथवा उसके उपकेन्द्र द्वारा दी जाएगी | इसके साथ आपको ज्योतिष पाठ्यक्रम में पंचांग, वास्तु पाठ्यक्रम में दिशा – सूचक यंत्र, हस्त रेखाशास्त्र पाठ्यक्रम में मैग्नीफाईंग ग्लास, तंत्र पाठ्यक्रम में लाल चन्दन का माला आदि निःशुल्क दिया जायेगा |
३. शुल्क भेजने का नियम – संस्था द्वारा संचालित प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में उसका पूर्ण शुल्क लिख दिया गया है |
जिसे निम्नलिखित साधनों से आप अपनी सुविधा अनुसार संस्थान को भेज सकते है –
१. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम ड्राफ्ट जो वाराणसी में देय हो |
२. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के निम्नलिखित बैंक अकाउंट में शुल्क जमा किया जा सकता है –
अपने नजदीकी भारतीय स्टेट बैंक ऑफ इण्डिया शाखा में खाता नं. ३३७९९७९८०४९ (क्लियरिंग चार्ज ५० रु.अलग से) में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
अपने नजदीकी आई. सी. आई. सी. आई. बैंक शाखा में खाता नं. ६२८३०५०१८१३८ में भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानं के नाम शुल्क जमा किया जा सकता है |
३. भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम (Bhartiya Vaidic Jyotish Sansthanam) के नाम चेक जो वाराणसी में देय हो (चेक द्वारा शुल्क भेजने पर ५० रु.क्लियरिंग चार्ज अलग से देना होगा |)
४. मनीआर्डर द्वारा संस्थान के पते पर शुल्क भेज सकते है |
५. वी.पी.पी. माध्यम से भी आप कोर्स मैटेरियल के लिए आवेदन कर सकते है | (इस सम्बन्ध में विस्तृत जानकारी फोन द्वारा संस्थान से प्राप्त की जा सकती है |)
६. नकद शुल्क संस्थान में आकर भी जमा किया जा सकता है |
शुल्क तथा आवेदन पत्र प्राप्त होने के बाद संस्था द्वारा सभी पाठ्यक्रम सामग्री छात्रों को रजिस्टर्ड डाक या कुरियर द्वारा भेज दि जाती है | पाठ्यक्रम में वर्णित शुल्क के अतिरिक्त किसी प्रकार का कोई अन्य शुल्क नही लिया जाता है |
विशेष – किसी प्रकार का भी शुल्क भारतीय वैदिक ज्योतिष संस्थानम वाराणसी के नाम ही स्वीकृत किया जायेगा |
४. भारत से बाहर के छात्रों के लिए – विदेशी छात्रों को डाक खर्च शुल्क अतिरिक्त देना होगा | पाठ्यक्रमों के शुल्क सम्बन्धी विशेष जानकारी संस्था से संपर्क करके प्राप्त किया जा सकता है |
५. प्रवेश सम्बन्धी नियम- संस्था द्वारा संचालित किसी भी पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त करने के लिए संस्था द्वारा उपलब्ध आवेदन पत्र को भरकर पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क के साथ रजि.डाक, कोरियर द्वारा या व्यक्तिगत रूप से जमा करने पर सम्बंधित पाठ्यक्रम में प्रवेश प्राप्त हो जाता है |
६. परीक्षा विधि- प्रत्येक पाठ्यक्रम के अध्ययनकाल के समाप्ति के बाद संस्था द्वारा पाठ्यक्रम से सम्बंधित प्रश्न पत्र आपको भेजा जायेगा | जिसका उत्तर घर बैठे आप स्वयं लिखेगें | प्रश्न पत्र प्राप्ति के दिनांक से एक माह के अन्दर संस्था को रजिस्टर्ड द्वारा प्रश्न पत्र का उत्तर भेजना होता है | आपके उत्तर पत्र का मूल्यांकन एवं निरिक्षण करने का आधार आपकी विषयगत मौलिकता एवं विषय को स्पष्ट करने की शैली होती है| उत्तर पत्र प्राप्त होने के एक माह के अन्दर आपको तत सम्बंधित प्रमाण पत्र भेजकर सम्मानित किया जाता है | उच्चतम अंक प्राप्त करने वालों को संस्था द्वारा गोल्ड मैडल से सम्मानित किया जाता है| उत्तर पत्र के प्रत्येक पृष्ठ पर आपका हस्ताक्षर आवश्यक है | यह नियम पत्राचार पाठ्यक्रम के विद्यार्थियों पर लागू होगा |
प्रथम श्रेणी – प्रथम श्रेणी उत्तीर्ण छात्र को अंक पत्र में ए श्रेणी प्राप्त होगा |
द्रितीय श्रेणी – द्रितीय श्रेणी में उत्तीर्ण छात्र को बी श्रेणी प्राप्त होगा |
असफल छात्र – असफल छात्र को पुनः परीक्षा देना होगा | जिसके लिए परीक्षा शुल्क संस्थान में जमा करना होगा | विद्यार्थी को उसके विषयगत कमजोरी को दूर करने के लिए संस्थान के शिक्षक निःशुल्क प्रशिक्षण देंगे |
७. पाठ्यक्रम से सम्बंधित शुल्क – संस्थान के प्रत्येक पाठ्यक्रम के अंत में पाठ्यक्रम का शिक्षण शुल्क लिखा हुआ है | जिसमे पंजीकरण शुल्क, प्रवेश शुल्क, वार्षिक पत्रिका शुल्क, परीक्षा शुल्क तथा दीक्षांत समारोह शुल्क आदि अनिवार्य शुल्क जुड़ा हुआ है |
८. आवश्यक वैधानिक नियम – १. किसी भी विवाद का न्यायक्षेत्र वाराणसी (उ०प्र०) होगा |
२. पाठ्यक्रम भेज देने के बाद पाठ्यक्रम का शुल्क वापस नही किया जाता है |
३. संस्थान से कोई भी सूचना प्राप्त करने के लिए डाक टिकट लगा लिफाफा भेजना होगा | व्यक्तिगत अथवा फोन से संपर्क करने का समय सायं ३ से ५ बजे तक है | गुरुवार को अवकाश रहता है \
नोट – संस्था के नाम पर किसी प्रकार का असंवैधानि कार्य दंडनीय अपराध माना जायेगा |
विशेष ध्यातव्य – संस्थान के खाते में जमा धनराशि का ही संस्थान उत्तरदायी होगा |
किसी प्रकार के संवैधानिक विवाद के निर्णय का अधिकार वाराणसी न्यायलय के आधीन होगा |
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